शिव भक्तों के लिए सौगात भरा है आज का दिन

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💥ॐ नमः शिवाय🌹💥*/
(स्कंद पुराण के महेश्वर खंड में वर्णित प्रदोष महात्म्य का वर्णन)( आज शुक्रवार को है प्रदोष व्रत)
*💥प्रदोष काल में स्नान करके मौन रहना चाहिये*
*💥🌹भगवान् सदाशिव के समीप एक हजार दीपक जलाकर प्रकाश करना चाहिये। इतना सम्भव न हो तो सौ अथवा बत्तीस दीपों से भी भगवान के समीप प्रकाश किया जा सकता है। शिव को प्रसन्नता के लिये घी का दीपक जलाना चाहिये। इसी प्रकार फल, धूप, नैवेद्य, गन्ध और पुष्प आदि षोडश उपचारों से लिंगरूपी भगवान् सदाशिव की प्रदोष कालमें पूजा करनी चाहिये*।
*💥भगवान् सम्पूर्ण मनोरथों को सिद्ध करनेवाले हैं। यत्नपूर्वक एक सौ आठ बार पूजन के पश्चात् नमस्कार भी करने चाहिये। इस प्रकार परिक्रमा और नमस्कार से भगवान् सदाशिवको प्रसन्न करना उचित है*
*💥तत्पश्चात् सौ नामोंसे विधिपूर्वक भगवान् रुद्रकी स्तुति करनी चाहिये*।
*💥रुख, नील, भीम और परमात्मा को नमस्कार है! कपर्दी (जटाजूटधारी), सुरेश्वर (देवताओंके स्वामी) तथा आकाशरूप केशवाले श्रीव्योमकेशको नमस्कार है।*
*💥जो अपनी ध्वजा में वृषभ का चिह्न धारण करने के कारण वृषभध्वज हैं, उमा के साथ विराजमान होने से सोम हैं, चन्द्रमा के भी रक्षक होने से सोमनाथ हैं, उन भगवान् शम्भुको नमस्कार है*

*💥सम्पूर्ण दिशाओं को वस्त्ररूप में धारण करने के कारण जो दिगम्बर कहलाते हैं, भजनीय तेजस्वरूप होने से जिनका नाम भर्ग हैं, उन उमाकान्तको नमस्कार है*
*💥जो तपोमय, भव्य (कल्याणरूप), शिव श्रेष्ठ, विष्णुरूप, व्यालप्रिय (सर्पो को प्रिय माननेवाले), व्याल (सर्पस्वरूप) तथा सर्प के पालक हैं, उन भगवान को नमस्कार है*
*💥जो महीधर (पृथ्वीको धारण करनेवाले), व्याघ्र (विशेष रूप से सूँघनेवाले),पशुपति( जीवों के पालक) त्रिपुरनाशक, सिहस्वरुप सार्दूल रुप और यज्ञमय उन शिव को नमस्कार है*
*💥जो मत्स्य स्वरूप मत्स्यों के स्वामी सिद्ध तथा परमेष्ठी हैं जिन्होंने कामदेव का नाश किया है जो ज्ञान स्वरुप तथा बुद्धि वृत्तियों के स्वामी हैं उनको नमस्कार है*
*💥जो कपोत ब्रह्माजी जिनके पुत्र हैं), विशिष्ट (सर्वश्रेष्ठ), शिष्ट (साधुपुरुष तथा सर्वात्मा हैं, उन्हें नमस्कार है*
*💥जो वेदस्वरूप वेद को जीवन देने वाले तथा वेदों में छिपे हुए गूढ तत्व हैं, उनको नमस्कार है*
*💥जो दीर्घ, दीर्घरूप, दीर्वार्थस्वरूप तथा अविनाशी हैं, जिनमें ही सम्पूर्ण जगत्‌ की स्थिति है तथा जो सर्वव्यापी व्योमरूप हैं, उन्हें नमस्कार है*
*💥जो गजासुरके महान काल हैं, जिन्होंने अन्धकासुर का विनाश किया है, जो नील, लोहित और शुक्लरूप हैं तथा चण्ड-मुण्ड नामक पार्षद जिन्हें विशेष प्रिय हैं, उन भगवान् शिवको नमस्कार है*
*💥जिनको भक्ति प्रिय है, जो द्युतिमान् देवता हैं, ज्ञाता और ज्ञान हैं, जिनके स्वरूप में कभी कोई विकार नहीं होता, जो महेश, महादेव तथा हर नाम से प्रसिद्ध हैं, उनको नमस्कार है*
*💥जिनके तीन नेत्र हैं, तीनों वेद और वेदांग जिनके स्वरूप हैं, उन भगवान शंकर को नमस्कार है। नमस्कार है।*
*जो अर्थ (धन), अर्थरूप (काम) तथा परमार्थ (मोक्षरूप) हैं, उन भगवान्‌को नमस्कार है जो सम्पूर्ण विश्व भूमि के पालक, विश्वरूप, विश्वनाथ, शंकर, काल तथा कालावयवरूप हैं, उन्हें नमस्कार है*

*💥जो रूपहीन, विकृत रूपवाले तथा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म हैं, उनको नमस्कार है। जो श्मशान भूमि में निवास करने वाले तथा व्याघ्रचर्ममय वस्त्र धारण करनेवाले हैं, उनको नमस्कार है। जो ईश्वर होकर भी भयानक भूमि में शयन करते हैं, उन भगवान् चन्द्रशेखर को नमस्कार है*
*💥जो दुर्गम हैं, जिनका पार पाना अत्यन्त कठिन है तथा जो दुर्गम अवयवोंके साक्षी अथवा दुर्गारुपा है उन महादेव को नमस्कार है*
*💥जो कारणों के भी कारण, मृत्युंजय तथा स्वयम्भू-रूप हैं, उन्हें नमस्कार है! हे श्रीत्र्यम्बक ! हे नीलकण्ठ! हे शर्व! हे गौरोपते! आप सम्पूर्ण मंगलोंके हेतु हैं; आपको नमस्कार है*
*💥प्रदोष व्रत करने वाले को महादेवजीके इन नामों का पाठ अवश्य करना चाहिये* ///
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