ग्यारह सौ अखण्ड श्रीमद् भागवत का सफर जारी 56 वीं कथा शुरु, लगभग नौ वर्ष तक चलेगा कथा का सफर, विराट कार्यक्रम से आध्यात्मिक के रंग में रंगा हल्दूचौड़, अद्भूत है यह कार्यक्रम

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श्रील् नित्यानंद पाद आश्रम श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर गौ आश्रम परमा हल्दूचौड़ में ग्यारह सौ अखण्ड़ श्रीमद् भागवत कथा की यात्रा जारी है  है कथा को लेकर समूचे क्षेत्र में विशेष उमंग व उत्साह छायी हुई है लगभग 9 वर्ष तक निरंतर चलने वाली यह कथाएं आध्यात्मिक जगत में अपने तरह का एक अलग अलौकिक कार्यक्रम है आश्रम के व्यवस्थापक श्री रामेश्वर दास महाराज जी ने बताया की भगवान श्री बद्रीनाथ जी कि असीम कृपा से उन्हें इस कार्यक्रम को करने की प्रेरणा प्राप्त हुई है उन्होंने बताया कि निरंतर मूल पाठ के साथ म्यारह सौ अखंड श्रीमद्भागवत करने में लगभग 9 वर्ष का समय लगेगा इन दिनों 56 वीं कथा चल रही है

 

उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए सुखताल से यहां ब्राह्मणों का दल बुलाया गया है जिनमें सुमन रामानुज जी, मुकुन्द शरण जी, मनोज उपाध्याय जी, सोमनाथ जी, शिव गुरुगाई जी, सुमन रामानुज जी मनोज उपाध्याय जी सहित सुखताल के अनेक विद्वानों द्वारा कथा की जा रही है कथा का शुभारंभ राधा अष्टमी के दिन से किया गया है

उन्होने कहा ईश्वरीय प्रेम के बिना मानवीय जीवन का कल्याण नहीं हो सकता। उन्होनें कहा धन का लालच मनुष्य को अंधा बना देता है इससे सबसे उपर उठकर श्रीकृष्ण की कृपा पात्र बनों।उन्होनें कहा श्रीमदभागवद कथा मनुष्य को सन्मार्गी बनने की प्रेरणा देती है यह आत्मा से परमात्मा का मिलन कराते हुए ईश्वरीय शक्ति का साक्षात्कार कराती है

उन्होंने कहा कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। कलिकाल में राम नाम स्मरण एवं भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव कष्टों से छुटकारा पाकर जीवन को धन्य कर सकता है उन्होंने कर्म की शुद्धता पर बल दिया और कहा जितनी कर्म की शुद्धता होगी, भगवान उतनी ही भक्त पर कृपा करेंगे। कर्म करना व्यक्ति के वश में है इसलिए व्यक्ति को कर्म करते रहना चाहिए और सब कर्मों को श्रीराम के अधीन छोड़ देना चाहिए*स्वामी जी ने कहा श्रीमद्भागवत अत्यंत पावन पुराण है। यह भगवत्स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए लोगों को भवसागर पार करानें वाला है। श्रीमदभागवत कथा हम सब को जीवन जीने की कला सीखाती है

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