बगलामुखी जयंती पर हिमालय की धरा में हुआ माँ बगलामुखी देवी का पूजन

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जनपद टिहरी गढ़वाल के घनसाली क्षेत्र में स्थित बंगला धार में माँ बगलामुखी का भव्य पूजन बगलामुखी जयंती के अवसर पर धूमधाम के साथ आयोजित हुआ हिमालय की इष्ट देवी के रूप में पूजित माँ बगलामुखी के प्राचीन स्थल पर भव्य रूप से आयोजित पूजा अर्चना कार्यक्रम में क्षेत्र के अनेक भक्तों ने भाग लेकर लोक कल्याण व .लोक मंगल की कामना कीइस अवसर परमां बगलामुखी के आस्थावान भक्ति श्री रामकृष्ण महाराज जी ने बताया कि
देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर स्थित बगलाक्षेत्र युगों-युगों से परम पूज्यनीय है दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक ऐसा मनोहारी स्थल है जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है भारत भूमि में माँ के अनेकों प्राचीन स्थल है इन तमाम स्थलों में हिमालय के आँचल में स्थित माँ बंगलामुखी क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक है पौराणिकता के आधार पर इसके महत्व की प्राथमिकता पुराणों में सुन्दर शब्दों में वर्णित है स्कंद पुराण के केदारखण्ड महात्म्य मे बंगला क्षेत्र की बडी विराट महिमां वर्णित की गयी है केदार खण्ड के 45 वें अध्याय मे स्वंय भगवान शिव माता पार्वती को इस क्षेत्र की महिमां का रहस्योद्घाटन करते हुए कहते हैं यह एक सुन्दर क्षेत्र है यह चार योजन लमबा और दो योजन चौडा है भिल्गणा नदी के समीप इस पावन स्थल के बारे में भगवान शिव माता पार्वती से कहते है देवी यह पावन स्थल परम गोपनिय है तुम्हारे कल्याणकारी प्रेम के वशीभूत होकर मै तुम्हें हिमालय के इस दुर्लभ तीर्थ की महिमां बताता हूँ भिल्लगणा के दक्षिण भाग में उत्तम बगलाक्षेत्र है। यह क्षेत्र अनेक तीथों से युक्त तथा भगवान शिव के नाना पिण्डी के स्वरुपों से शोभित है, जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य देवी के नगर में वास करता है

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