गजब रहस्य : महारहस्य की महाआभा में महापूजित है महाअवतार बाबा

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हिमालय की गोद में स्थित उत्तराखण्ड़ प्रकृति की अनमोल धरोहर है यह पावन भूमि युगों – युगों से आस्था भक्ति व साधना का संगम रही है देवता , ऋषि , मुनि , योगी , महायोगी , साधु , संत सभी के लिए यहां का कण – कण कल्याण का केन्द्र रहा है यहाँ से होकर बहनें वाली नदियां संसार को नव जीवन प्रदान करती है यहाँ के तमाम शिखर कल्याणकारी शिखर के नाम से संसार में प्रसिद्ध है पावन पर्वतों की लम्बी श्रृंखलाओं के क्रम में जनपद अल्मोड़ा के दूनागिरी क्षेंत्र में स्थित कुक्कुछीना क्षेत्र की पर्वत श्रृंखला पौराणिक काल से परम आस्था का केंद्र है पांडवों की गुप्त तपोभूमि पांडवखोली महाभारत कालीन पौराणिक इतिहास की गाथाओं को अपने आप में समेटे हुए हैं दूरदराज क्षेत्रों से आस्था की डगर पर चलकर लोग यहां पांडवखोली के दर्शनों के लिए आते हैं कहा जाता है कि पांडव खोली अर्थात् पांडुखोली में पांडवों ने वनवास काल के दौरान भगवान शंकर की यहां घोर तपस्या करके अलौकिक सिद्धियां प्राप्ति की इसी पर्वत में पांडव खोली के निकट पांडव खोली से पहले एक गुफा है जिसे महा अवतार बाबा की गुफा के नाम से जाना जाता है यहां पर बैठकर जो आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है उसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता है दूर – दराज क्षेत्रों से यहां गुफा के दर्शनार्थ आनें वाले लोग ध्यान लगाकर गहन मनोंशांति को प्राप्त करते हैं

पांडुखोली क्षेत्र में स्थित महावतार बाबा की यह पवित्र व अलौकिक गुफा तमाम संत महात्माओं और साधकों की ध्यान का पावन केन्द्र रही है। देश के बड़े – बड़े नेता अभिनेता जन भी यहां बाबा की गुफा के दर्शन के लिए आते रहते है लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ बाबाजी का स्मरण करते हैं हिमालय की धरा पर महावतार बाबा महान रहस्य का प्रतीक है उनकी आयु उनके जन्म के बारे में कुछ भी निश्चित ज्ञात नहीं है कहा जाता है कि समय-समय पर उन्होंने अनेक संत महात्माओं व अपने भक्तों को दर्शन देकर कृतार्थ किया है ये अजर अमर कहे गए हैं महावतार बाबाजी पर अनेक पुस्तकों का भी प्रकाशन हो चुका है
कहते हैं कि 18 वें दशक के मध्य समय से लेकर और 1950 के बीच महावतार बाबा ने अनेकों संतों से भेंट कर उन्हें अतुलनीय ज्ञान प्रदान किया पांडवखोली के निकट स्थित महावतार बाबा के गुफा क्षेत्र के आसपास अश्वत्थामा का भी विचरण स्थल माना जाता है

प्रसिद्ध संत भटकोटी महाराज जी कहते हैं कि दूनागिरी पर्वत श्रृंखलाओं के आसपास के पर्वत पौराणिक काल से ऋषि मुनियों की आराधना व तपस्या का केंद्र रहे हैं इन्हीं पर्वतों मैं महावतार बाबा भी अदृश्य रूप से विराजमान है जो समय-समय पर अपने भक्तों को दर्शन देते रहते है इन्हें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भी माना जाता है
कुल मिलाकर हिमालय की धरा में स्थित महाअवतार बाबाजी की गुफा उनकी महान् साधना का प्रतीक है महावतार बाबाजी के प्रति भक्तों में अगाध श्रद्धा है लोग उन्हें बड़ी ही आस्था और श्रद्धा के साथ पूजते हैं योग क्रियाओं के महान ज्ञाता के रूप में भी उनका स्मरण किया जाता है

महावतार बाबा कौन हैं क्या उनका रहस्य है यह कोई नहीं जानता है वे कहा रहते है यह भी अज्ञात है क्या वास्तव में उनकी आयु पाँच हजार साल से भी ज्यादा है यह भी एक अबूझ पहेली है कहा तो यहां तक जाता है कि उन्होंने जगतगुरु आदिशंकराचार्य व संत कबीर जी को भी क्रिया योग की शिक्षा दी थी और प्रसिद्ध संत लाहिड़ी महाशय को भी उनका ही शिष्य बताया जाता है।

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