घंटाकर्ण की तपोभूमि घंटेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़

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पिथौरागढ़ का घंटाकर्ण मंदिर प्राचीन काल से परम पूजनीय है दूरदराज क्षेत्रों से भक्तजन यहां पहुंचकर घंटाकर्ण के आराध्य देव घण्टेश्वर महादेव की आराधना करके स्वंय को धन्य मानते है
भगवान शंकर के परम भक्त घंटाकर्ण देवता को समर्पित यह प्रसिद्ध शिवालय पिथौरागढ़ शहर के उत्तर भाग में लुन्ठी लोगों के गाँव की पहाड़ी पर स्थित है कहां जाता है कि घंटाकर्ण भगवान शिव के परम भक्त थे वह केवल शिव नाम को ही सुनते थे और कोई नाम उनके कानों में ना पड़े इसलिए उन्होंने अपने कानों पर बड़े-बड़े घंटे लगाए थे जब कोई शिव नाम के अलावा इधर उधर की बात करता तो वह अपने घंटे बजा दिया करते थे ऐसे महा प्रतापी घंटाकर्ण देव ने इस स्थान पर शिवजी की आराधना की थी इसी कारण यह स्थान घंटेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है

भगवान शिव के प्रताप से ही घंटाकर्ण भगवान विष्णु के द्वारपाल बने पिथौरागढ़ का यह घंटेश्वर महादेव मंदिर महान शिव भक्त घंटाकर्ण की अचल भक्ति का प्रतीक है इस मंदिर पर जो पिंडी है उसे स्वयंभू पिंडी कहा जाता है साथ ही इस स्थान पर माता शीतला भी तीन पीड़ियों के रूप में स्थित है मान्यता है कि यहां पर माता शीतला देवी का पूजन करने से मनुष्य के रोग दूर होते सनी देवता सहित देवी का भव्य दरबार व अनेकों देवी-देवताओं की मूर्तियां इस मंदिर पर स्थापित हैं

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