आस्था व भक्ति का अद्भूत केन्द्र : कांडा का श्री महाकाली दरबार,

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जनपद बागेश्वर के काड़ा में स्थित श्री महाकाली का दरबार परम आस्था का प्रतीक है उत्तराखण्ड़ के प्रसिद्ध काली मन्दिरों में एक देवी के इस पावन क्षेंत्र की महिमां बड़ी ही अद्भूत व निराली है माता महाकालिका की इस भूमि के चारों ओर एक से बढ़कर एक महाप्रतापी तीर्थ स्थल मौजूद है जिनका वर्णन पुराणों में पढ़ा जा सकता है नाग मन्दिरों की श्रृखंला माता महाकाली की महिमां का विस्तार करती है सुन्दर रमणीक पहाडियों की गोद में स्थित तमाम लोक देवताओं के प्राचीन मंदिरों के सानिध्य में स्थित यह महाकाली मंदिर सदियों के इतिहास को अपनें आप में समेटे हुए है जगतगुरु शंकराचार्य सहित अनेक ऋषि मुनियों की तपोभूमि के नाम से भी मंदिर का महत्व प्रसिद्ध है
कहा जाता है उत्तराखण्ड़ भ्रमण के दौरान जब जगतगुरु शंकराचार्य इस स्थान से होकर जा रहे थे तो उन्हें यहाँ अलौकिक शक्ति का आभास हुआ शक्ति की प्रेरणा से ही उन्होने यहां पर माँ काली का पूजन करके शक्ति को भदैलो से ढककर कीलित किया लोक मान्याताओं के अनुसार पहले यहाँ नरबलि की प्रथा का प्रचलन था दंत कथाओं के अनुसार इस क्षेत्र में कभी काल का जबरदस्त आतंक था। वह समय – समय पर नरबलि लेता था। अदृश्य रूप से ब्याप्त काल जिसका नाम लेता, उसकी मृत्यु हो जाती थी। काल के इस आंतक से समूचा भूभाग त्राहिमांम था लोग भयभीत रहते थे। जब जगतगुरु शंकराचार्य जब इस क्षेत्र में आये तो लोगों ने अपनी ब्यथा उन्हें बताई लोक कल्याण की भावना से जगद्गुरु ने यहाँ महाकाली की पूजा अर्चना करके काल शक्ति को कीलित करके कढ़ाईयों से ढ़क दिया तभी से यहाँ महाकाली का पूजन होता है यहाँ की यात्रा के दौरान मंदिर के आस्थावान भक्त व माँ के सेवक वीरेन्द्र काण्डपाल, मनीष काण्डपाल, आचार्य मनोज पाण्डेय, महिपाल सिंह, अर्जुन सिंह माजिला, मदन मोहन काण्डपाल, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रघुबीर सिंह माजिला, उपाध्यक्ष केदार सिंह, कोषाध्यक्ष तेज सिंह, सचिव दीवान सिंह, उप कोषाध्यक्ष गोपाल सिंह , प्रबंधक रतन सिंह आदि भक्तों ने बताया माता का यह दरबार परम आस्था व भक्ति का केंद्र है
माँ की महिमां अद्भूत है यहाँ की समीपवर्ती पहाड़ियों में स्थित प्राचीन नाग देवताओं के मंदिर भी परम पूजनीय है सभी नाग देवता माता महाकाली की स्तुति में तत्पर रहते है इन्हीं पड़ाडियो में गोपेश्वर महादेव भी विराजमान है धौली नाग, फेनिल नाग, मूलनारायण जी सहित अन्य देवताओं का वास है
*ततो गोपीवने देवीं काली सम्पूज्य वं द्विजाः ॥ मानवः सर्वदुः खेभ्यो न विन्दति भयं क्वचित् याः सर्वाः सरितः सन्ति पुण्ये*
व्यासजी जी ने इस भूभाग के महात्म्य का विस्तार के साथ स्कंद पुराण में सुन्दर शब्दों वर्णन करते हुए लिखा है यहाँ की महिमां अपरम्पार है

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