आध्यात्मिक जगत में अमिट यादें छोड़ गयी शिव महापुराण की कथा विशाल भण्डारे में हजारों भक्तों ने लिया भाग

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जनपद बागेश्वर के धपोलासेरा क्षेंत्र में स्थित गोपीश्वर महादेव मंदिर में श्री शिव महापुराण की कथा आध्यात्मिक जगत में अमिट यादें छोड़ गयी 15 फरवरी से 25 फरवरी तक चले श्री अनंत शिव महापुराण कार्यक्रम से समूचे क्षेत्र का आभामंडल ओम नमः शिवाय की धुन में रम गया पवित्र पावन स्थल पर भव्य एवं दिव्य शिव महापुराण कथा ने आध्यात्मिक क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का यहां संचार किया विशाल भंडारे में तमाम क्षेत्रों के ग्रामीणों ने एकत्र होकर भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर गोपेश्वर महादेव जी का स्मरण कर एक सुखद अनुभूति का एहसास किया चारो ओर का आध्यात्मिक वातावरण इन दिनों भी यहाँ शिवमय है हर हर महादेव की धुन में सारा क्षेत्र झूम रहा है दूर दराज क्षेत्रों से सैकड़ों भक्तजनों ने यहाँ पहुंचकर शिव कथा का आनन्द लिया यहाँ कथा का वाचन प्रसिद्ध ब्रह्मचारी संत श्री दुर्गा दत्त शास्त्री जी द्वारा किया गया

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भगवान शिव की महिमाँ की गूढ़ गाथाओं का सुन्दर बखान यहाँ शास्त्री जी द्वारा किया गया एक संत के श्रीमुख से शिव कथाओं का श्रवण कर भक्तजन अद्भूत आनन्द की आभा में आज भी मग्न है
विराम दिवस के अवसर पर एक मुलाकात में संत श्री दुर्गा दत्त शास्त्री ने कहा मनुष्य के जब कई जन्मों के पुण्य का फल उदय होता है तो वह श्री शिव महापुराण कथा के श्रवण का भागी बनता है उन्होनें कहा यह कथा जन्म जन्मान्तरों के पापों का हरण करती है
उन्होनें कहा शिवपुराण सभी पुराणों का तिलक है जिसमें परब्रह्म परमेश्वर के ‘शिव’ (कल्याणकारी) स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है जिनका श्रवण पापों का हरण करता है भगवान शिव पंचदेवों में प्रधान, अनन्तेश्वरअनादि सिद्ध परमेश्वर हैं वेदों ने इस परमतत्त्व को अव्यक्त, अजन्मा, सबका कारण कहा है ये कल्याण के देवता है कल्याण करना ही शिव का कार्य है , श्रुतियों ने सदा शिव को स्वयम्भू, शान्त, प्रपंचातीत, परात्पर, परमतत्त्व, ईश्वरों के भी परम महेश्वर कहकर स्तुति की है। ‘शिव’ का अर्थ ही है- ‘कल्याणस्वरूप’ और ‘कल्याणप्रदाता’ है

 

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परमब्रह्म के इस कल्याण रूप की उपासना महान् कोटि के सिद्धों, आत्मकल्याणकामी साधकों एवं सर्वसाधारण आस्तिक जनों-सभी के लिये परम मंगलमय, परम कल्याणकारी, सर्वसिद्धिदायक और सर्वश्रेयस्कर है। देव, दनुज, ऋषि, महर्षि, योगीन्द्र, मुनीन्द्र, सिद्ध, गन्धर्व ही नहीं, अपितु ब्रह्मा-विष्णु सभी महादेव की उपासना करते हैं। इसका पठन और श्रवण सर्वसाधनरूप है। इससे शिव भक्ति पाकर श्रेष्ठतम स्थिति में पहुँचा हुआ मनुष्य शीघ्र ही शिवपद को प्राप्त कर लेता है। इसलिये सम्पूर्ण यत्न करके मनुष्यों को श्री शिव का चिन्तन करना चाहिए इसका प्रेमपूर्वक भक्ति पूर्वक श्रवण सम्पूर्ण मनोवंछित फलों के देनेवाला है। भगवान शिव के इस पुराण को सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है तथा इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग करके अन्त में शिवलोक को प्राप्त कर लेता है।

 

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इस अवसर पर कथा के यजमान श्रीमती एवं श्री राजेंद्र सिंह भंडारी प्रसिद्ध समाजसेवी संतोष कांडपाल मंदिर के पुजारी दिनेश चन्द्र पाण्डेय आचार्य हेम चन्द्र पाण्डेय दिनेश चन्द्र भट्ट जगदीश चन्द्र लोहनी नितिन पाठक समाज सेवी हिमांशु काण्डपाल मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रयाग सिंह भण्डारी उपाध्यक्ष शंकर सिंह धपोला उपाध्यक्ष अशोक सिंह भण्डारी सचिव राजेन्द्र सिंह भण्डारी सचिव राजेन्द्र सिंह धपोला कोषाध्यक्ष
महिपाल सिंह धपोला संरक्षक भवान सिंह धपोला भगवान सिंह धपोला मोहन सिंह मन्दिर कमेटी के सदस्य दीपक चन्द्र पाण्डे दिवान सिंह गोविन्द सिंह घपोला जगदीश राम गंगा सिंह धपोला घनश्याम भण्डारी भूपाल सिंह रावल दिनेश चन्द्र पाण्डे दिवान सिंह रावल गिरीश चन्द्र जोशी हरीश सिंह रावल सहित अनेकों मौजूद रहे

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