विल्केश्वर महादेव जी के सानिध्य में विराजमान है माँ झाली देवी

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जनपद पिथौरागढ़ में स्थित बिल्केश्वर महादेव जी का मंदिर सदियों से परम पूजनीय है आस्था और भक्ति का संगम कहे जानें वाले महादेव जी के इस पावन स्थल के प्रति भक्तों में अगाध श्रद्धा है यह मंदिर अनेक ग्रामीण लोगों की पूजा- अर्चना का भी पावन केंद्र है श्रावण माह में खासतौर से यहां भक्त जनों की बहुत भीड़ लगी रहती है दूर-दराज क्षेत्रों से भी श्रद्धालु जन यहां पहुंचकर महादेव जी के दर्शन करते हैं सौंदर्य से परिपूर्ण घाटियों के मध्य स्थित यह स्थान अनेक पौराणिक मान्यताओं को अपनें आप में सेमेटे हुए है

पिथौरागढ़ जनपद में शेराघाट व बेरीनाग के मध्य बांस पटान पुल के करीब महादेव जी के इस मन्दिर की महिमां बताते हुए यहां के आस्थावान भक्त मोहन सिंह बिष्ट बताते है
बाँस -पटान के आँचल में खैरोली नामक स्थान पर भगवान शंकर जी का यह मन्दिर पांण्डव कालीन गाथाओं को भी अपने आंचल में समेटे है श्री बिष्ट बताते है कि पौराणिक कथा के अनुसार यहां दो पहाडों के बिच कुलूर नदी बहती है जिसमें भद्रकाली चंडिका का पवित्र जल मिलकर त्रिवेणी का संगम बन जाती है और मंन्दिर क्षेत्र में ऐसा जल कुण्ड है जिसका जल गंगा के समान पावन व निर्मल माना जाता है । दूर दूर से यहाँ दर्शनों को आनें वाले लोग इस जल को अपने घरों को ले जाते है।

मंन्दिर के उत्तर में भयंकर चट्टान है जिसमें बीच में एक मोटी दरार है कहा जाता है की पांण्डव काल में भीम ने चट्टान के नीचे पानी वाला घराट जोतने की योजना बनाई थी रात खुलने पर उनकी योजना अधूरी रह गयी क्योंकि यह कार्य एक ही रात मे होना था। घराट नुमा गोल पत्थर आज भी यहाँ मौजूद है

श्री बिष्ट आगे बताते है कि इसी चट्टान में एक झाली गाय व छोटे से बछडे की छाप अंकित है जिस बारें में कहा जाता है की गाय ने घास चुगते- चुगते सांय काल को यहाँ एक बछड़े को जन्म दिया इसी बीच घात लगाकर बैठै एक बाघ ने गाय व उसके बछड़े पर हमला करना चाहा गांय ने बछड़े को बचानें के लिए करुण क्रंदन किया गाय की करुण पुकार से समूचा क्षेत्र गूंजायमान हो उठा तो इसी चट्टान से एक देवी प्रकट हो गई जिसने बाघ के हमले से गाय की रक्षा की और बाद मे इस देवी का नाम झाली देवी पड गया और इस चट्टान का नाम झालीकाँठा बिल्केश्वर महादेव जी की परिधि में यह एक सुंदर अति मनोहारी स्थान है यहां पर भी लोग देवी के दर्शन करके मनौती मांगते हैं मान्यता है कि यह देवी समूचे क्षेत्र की रक्षक देवी है और सदैव अपने भक्तों पर कृपालु रहती है शिव वह शक्ति की यह निवास भूमि श्रद्धा का अपार केंद्र है प्रभु श्री राम जी की लीला का मंचन श्रीमद् भागवत कथा सहित अनेकों धार्मिक कार्यक्रम यहां आयोजित होते रहते है तीज त्योहारों के अवसर पर इस क्षेत्र की रौनक आध्यात्मिक रंग में रंगी होती है यहाँ के आस्थावान एक और भक्त सावन रावत बताते है भगवान शिव के इस मन्दिर में पवित्रता का विशेष ध्यान रक्खा जाता है खासतौर से कुण्ड के जल की पवित्रता पर ऑच आने पर नाग दिखने लगते है/// रमाकान्त पन्त///

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