आध्यात्मिक यादों की महक में सदैव भक्तों के हृदय में विराजमान रहेगें दीन दयालु महाराज *भावपूर्ण स्मरण*

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हरिद्वार/ सनातन धर्म के ध्वज वाहक, ललिता आश्रम हरिद्वार के संस्थापक , भागवत भूषण, शिव कथाओं के प्रबल ज्ञाता, वेद- पुराणों के महाज्ञानी महान् युग पुरुष धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री महाराज जी के परम शिष्य परम पूज्य दिव्य लोक वासी संत श्री दीन दयालु महाराज जी हालांकि सशरीर अब हमारें बीच में नहीं है लेकिन उनसे जुड़ी आध्यामिक यादें सदैव हम सभी का मार्ग दर्शन करते रहेंगी सनातन धर्म में जब- जब सत्य व धर्म की रक्षा के लिए संतों के योगदान की चर्चा होती रहेगी, तब -तब आध्यामिक जगत के महान् युग पुरुष तपोनिष्ठ , महाज्ञानी शिव लोक वासी ब्रहमलीन संत परम पूज्य गुरुदेव दीन दयालु महाराज जी का परम श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता रहेगा।और इनका स्मरण भक्तों में आध्यात्मिक ऊर्जा का नया संचार करेगा।और हम सभी का मार्गदर्शन भी ललिता आश्रम हरिद्वार पहुंचकर जब माता के श्रीचरणों में इनके शिष्य जब अपने आराधना के श्रद्वा पुष्प अर्पित करेंगे तब सहज में ही याद आऐगे दीन दयालु महाराज।
उनका निर्मल, निष्ठामय, कर्तव्यमय, सादगी भरा जीवन, क्षमा, व दया की प्रतिमूर्ति, मर्यादा के महान् रक्षक, महान् गौ भक्त, एक आत्मनिष्ठ, निष्काम कर्मयोगी, माँ त्रिपुरा सुन्दरी के अनन्य उपासक आध्यात्म जगत की जितनी भी उपमाएं है वे सब उनमें सहज रूप से झलकती थी, लोग उनसे मिलकर अपने सौभाग्य की सराहना करते हुए ईश्वर का धन्यवाद अदा करते थे
उनका दर्शन उनकी वाणी जीवन की सभी अनसुलझी गुत्थियों को बरबस ही सुलझा देती थी। जो सच्चे हदय से उनके निकट आकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता था, वह ज्ञान की नई अनुभूतियां पाकर अपने जीवन को धन्य समझकर अपनें भाग्य की सराहना करता था पूज्य गुरुदेव जी की कृपा का वर्णन शब्दों में कदापि नही किया जा सकता है
महान से भी महान तीनों गुणों से परे देवी के परम भक्त संत शिरोमणी दिव्यलोकवासी दयालु महाराज जी वेद, वेदांग, उपनिषद, धर्मशास्त्र, दर्शन शास्त्र समेत अनेक सनातन ग्रन्थों के ज्ञाता थे ज्ञान के प्रचार के साथ ही उन्होंने देश के अनेक भागों में कई विद्यालय खुलवाए और धर्म व आध्यात्म के प्रचारार्थ अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया उनकी दिव्यता का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है महाराज जी के प्रयासों का ही प्रतिफल है, सैकड़ों छात्र संस्कृत भाषा में अनेक उपाधियां लेकर आज समाज व देश की सेवा कर रहे है
91 वर्षीय दीन दयालु महाराज जी का मंगलवार की प्रातः हिमाचल प्रदेश के पंचकूला में निधन हो गया निधन से कुछ समय पूर्व ही गगरेट आश्रम में श्री शिव महापुराण कथा का विराम हुआ था बताते है बाद वे रात्रि विश्राम हेतु पंचकूला में रुके थे जहां प्रातः काल के नित्य नियम के दौरान ध्यान साधना के दौरान उन्होनें शरीर छोड़ दिया।उनके चेहरे का अद्भूत तेज निरोगी काया वाणी की तेजस्विता को देखते हुए उनके भक्त अब तक यह विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि वह शरीर छोड़कर देवलोक को प्रस्थान करें
बारहाल परम पूज्य गुरुदेव दिव्य लोक वासी दीनदयालु महाराज की महिमां का बखान शब्दों से परे है/// सादर भावपूर्ण श्रद्धांजलि स्मरण रमाकान्त पन्त///

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