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हल्द्वानी( नैनीताल ), आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का शनिवार 6 जुलाई से शुभारम्भ हो गया है, जो 15 जुलाई 2024 को समाप्त होंगी। शक्ति की साधना एवं विविध गुप्त सिद्धियां प्राप्त करने के इच्छुक साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी गयी हैं। इसी के साथ प्रकृति का प्रतिनिधि पर्व ” हरेला ” की भी शुरुआत हो गयी है।
इस पावन अवसर पर पूर्व दर्जा राज्य मन्त्री लोकप्रिय समाजसेवी एवं भारत रत्न पण्डित गोबिन्द बल्लभ पन्त जयन्ती समारोह समिति के प्रदेश मुख्य संरक्षक गोपाल रावत ने लोकमंगल की पवित्र कामना के साथ समूचे प्रदेश वासियों को बधाई दी है और उनकी खुशहाली के लिए अपनी शुभकामनाएं भी व्यक्त की हैं।
एक मुलाकात में वरिष्ठ समाजसेवी श्री गोपाल रावत ने कहा है कि सनातन हिन्दू संस्कृति में गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए विशेष महत्व रखती हैं। सभी दश महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए इस दौरान साधक गण लगातार नौ दिनों तक कठोर साधना करते हैं। श्री रावत ने कहा है कि सनातन संस्कृति में वर्ष भर में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ अर्थात कुल चार नवरात्र पर्व होते हैं। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा गया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यतानुसार सभी चारों नवरात्रि में भगवती माँ दुर्गा के विविध स्वरूपों की अराधना धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष प्राप्ति के लिए ही की जाती हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रि दश महाविद्याओंं की गुप्त सिद्धियों के लिए उत्तम मानी गयी हैं।
बताते चलें कि प्रकृति के इस महापर्व को कुमाऊ में ” हरेला ” अर्थात हरियाली के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। रविवार 7 जुलाई को सभी लोगों द्वारा अपने – अपने घरों में हरेला बोया गया । आमतौर पर मुख्य पर्व से दस दिन पूर्व हरेला बोया जाता है। रिंगाल की टोकरी में गेहूं, धान, सरसों, जौ, उड़द, भट्ट, गहत, तिल व मक्का समेत कुल सात या नौ प्रकार के अनाज बोये जाते हैं। दसवे दिन हरेला का प्रमुख पर्व होता है। इस दिन विधि विधान के साथ पुरोहित ब्राह्मण द्वारा हरेला काटा जाता है फिर घरों के मन्दिरो में तथा गांव के मन्दिरो में हरेला चढ़ाया जाता है।
मान्यता है कि हरेला जितना बड़ा व सुन्दर होता है उतना ही सुख समृद्धि देने वाला होता है।
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