देवी के पावन चरित्रों का श्रवण परम कल्याणकारी है : आचार्य विवेकानन्द जोशी

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बिन्दुखत्ता/
उत्तराखण्ड के प्रसिद्व कथावाचक आचार्य विवेकानन्द जोशी ने कहा कि इस कलिकाल में श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण करना और कराना बहुत फलकारी होता है पुराना बिन्दुखत्ता के भुवनेश्वर,भूमिया मन्दिर में आयोजित कथा में उन्होनें देवी की महिमां पर विशेष रुप से प्रकाश डाला तथा देवि के विभिन्न स्वरूप की महत्ता व महिमा का वर्णन किया

उन्होंने आगे कहा कि भगवान को चढ़ने वाला दव्य शुद्ध व मन्त्र ब्राह्मण दोनों सात्विक होना चाहिए
उन्होंने कहा नवरात्रि के पर्व को उत्सव के रूप में मनाना चाहिये और देवी माँ से अपने, देश व समाज के कल्याण की कामना करनी चाहिये। इन दिनों में संयम, अनुशासन, पवित्रता का पालन करना चाहिये और देवी मां से प्रार्थना करनी चाहिये कि वे आगे भी जीवन में इनका पालन करने की शक्ति दे।

उन्होंने आगे कहा कि बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन प्राप्त होता है अत: इसका अधिक से अधिक सद्पयोग करना चाहिये व पुण्य कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहिये। उन्होनें कहा माता, पिता और संतों की सेवा करने और आशीर्वाद लेने से आयु में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है
श्री जोशी ने कहा देवी के पावन चरित्रों से बढ़कर कुछ भी नही है।श्रीमद्देवी भागवत नामक पुराण से बढ़कर कोई पुराण नहीं है। भागवत कथा पढऩे व सुनने से कोई भी पदार्थ दुर्लभ नहीं रह सकता है। इनकी कृपा से सभी कष्टों का निवारण शीघ्र हो जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि जो मनुष्य परम अमृत स्वरुप इस कथा को पढ़ता व सुनता है। संसार में भगवती की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं
मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका वर्णन कई ग्रंथों और शास्त्रों में पाया जाता है। इन बातों को समझ कर, उनका पालन करने पर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। आस्तिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है।
यज्ञ व दान का महत्व समझाते हुए उन्होने कहा दान करने से पुण्य मिलता है। दान करने पर ग्रहों के दोषों का भी नाश होता है। कई बार मनुष्य को उसकी ग्रह दशाओं की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दान देकर या अन्य पुण्य कर्म करके ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए सुखी जीवन और हमेशा भगवान की कृपा अपने परिवार पर बनाए रखने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए
उन्होने कहा शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्यन और श्रवण करना चाहिए।
उन्होने कहा अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल भगवान का नाम जपने से ही दूर किया जा सकता है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा से भगवान का नाम जपता हो, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। भगवान का भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की भी प्राप्ति होती है
इस अवसर पर राजेन्द्र खनवाल हेमवती नन्दन दुर्गापाल गणेश काण्डपाल कुन्दन दानू पवन बिष्ट राकेश वर्मा कृष्ण गोविन्द पाण्डे मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कमल बोरा उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह नेगी कोषाध्यक्ष हरीश चन्द्र पाण्डे ठाकुर सिंह बिष्ट दर्शन सिंह बिष्ट लक्ष्मण सिंह बिष्ट नरेश नयाल अमित बोरा भूपाल बिष्ट धर्मेन्द्र सिंह बोरा सोनू डौर्बी विरेन्द्र सिंह नेगी धीरज जोशी कुन्दन बोरा दीवान सिजवाली हीरा सिंह तुलेड़ा कुन्दन नयाल भीम सिंह बिष्ट नरेश नयाल बहादुर बोरा गोविन्द नेगी देवेन्द्र सिंह बोरा देवेन्द्र नेगी अभिषेक बोरा हरीश बोरा सुन्दर सिंह तुलेड़ा राहुल बोरा कमल नेगी बुद्धि बल्लभ जोशी राजू नेगी राजेन्द्र सिंह बोरा मोहन फर्त्याल नन्दन सिंह बोरा सहित सैकड़ों की संख्या मातृशक्ति मौजूद रही
15 फरवरी से यहाँ चल रही कथा 24 फरवरी को विराम होगी कथा स्थल पर प्रतिदिन दैनिक पूजन कार्यक्रम प्रातः 8 बजे से 11 बजे तक है और कथा दोपहर 12.30 बजे 4 बजे तक चल रही है सायंकाल की बेला में भजन कीर्तन आदि कार्यक्रम आयोजित हो रहे है

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