(डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद-विभूति फीचर्स)
उम्मीद-एक छोटा-सा लफ़्ज़, लेकिन इसका असर हमारी पूरी ज़िंदगी पर छाया रहता है। यह वह कोमल किरण है, जो अंधेरे से भरे जीवन में नई सुबह की तरह रोशनी बिखेरती है। यह सिर्फ़ सोच नहीं, बल्कि हमारी आत्मा की सबसे बड़ी ताक़त है।
जब जीवन में हर तरफ़ निराशा, हार और मायूसी हो, तब उम्मीद ही वो चिंगारी होती है जो हमें फिर से जीने की वजह देती है।
वो लोग जो कठिन से कठिन हालात में भी मुस्कुराते हैं, दरअसल वे उम्मीद की चादर में लिपटे हुए होते हैं।
*उम्मीद की ताक़त*
उम्मीद कोई जादू नहीं, लेकिन यह जादू जैसा असर रखती है। यह हमारे अंदर छुपी काबिलियत को बाहर निकालती है, हमारे भीतर के डर को हिम्मत में बदलती है, और असंभव को संभव करने की प्रेरणा देती है।
जब बच्चे पहले क़दम चलना सीखते हैं, जब बीमार मरीज़ दवाओं के साथ-साथ दुआओं से भी जीने की चाह रखते हैं, जब कोई ग़रीब मेहनत करके अपने बच्चों के भविष्य के लिए सपने देखता है-तो वह सब उम्मीद की ही मिसालें हैं।
*उम्मीदः अपने रब से, खुद से*
असली उम्मीद वो होती है जो हम अपने रब और खुद से रखते हैं। दुनिया के लोग हमारी उम्मीदों को समझें या नहीं, लेकिन हमारा रब हमेशा हमारी दुआओं को सुनता है। जब भी किसी ने सच्चे दिल से अपने रब से माँगा है, उम्मीद का दिया कभी बुझा नहीं।
*खुद से उम्मीद रखना भी ज़रूरी है*
क्योंकि जब आप अपने ऊपर भरोसा रखते हैं, तभी दुनिया भी आप पर यक़ीन करती है। स्वावलंबी उम्मीदें ही सबसे मज़बूत होती हैं।
*दूसरों से उम्मीदः सावधानी जरूरी*
हम अक्सर दूसरों से उम्मीद रखते हैं- प्यार की, वफ़ा की, समझदारी की, साथ की। लेकिन हर कोई आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। जब कोई अपना आपकी उम्मीद तोड़ता है, तो सिर्फ़ दिल नहीं टूटता, बल्कि यक़ीन भी बिखर जाता है।
इसलिए दूसरों से उम्मीद रखने से पहले देखना चाहिए कि क्या वो व्यक्ति आपकी उम्मीद का बोझ उठा सकता है या नहीं। वरना बेवजह की उम्मीदें आपको दुख ही देंगी। अंधी उम्मीदें अक्सर अंधे रास्तों की ओर ले जाती हैं।
*टूटती उम्मीदें: एक नया पाठ*
उम्मीद टूटना एक गहरा दुख है। यह ऐसा दर्द है जिसे कोई दवा नहीं भर सकती, सिर्फ़ वक़्त और नई उम्मीदें ही इसे ठीक करती हैं। लेकिन जब भी एक उम्मीद टूटती है, तो उसके टूटने की आवाज़ हमारे अंदर एक नया सबक छोड़ जाती है-सहनशक्ति का, आत्मबल का, और नयी शुरुआत का। कई बार हम सोचते हैं कि अब कुछ नहीं बचा। लेकिन यहीं से एक नयी उम्मीद जन्म लेती है-जो कहती है:
“एक दिन सब ठीक हो जाएगा।”
यही विश्वास हमें दोबारा हिम्मत देता है।
*उम्मीद – एक दीप, एक दुआ, एक दिशा*
उम्मीद किसी दिए की तरह होती है, जो तूफ़ानों में भी टिमटिमाती रहती है। यह दुआ की तरह होती है, जो अल्फ़ाज़ में नहीं, बल्कि दिल की गहराई में पलती है। यह दिशा की तरह होती है, जो भटकते सफ़र को मंज़िल की ओर मोड़ देती है।
जो लोग उम्मीदों के सहारे ज़िंदगी जीते हैं, वे हार कर भी कभी हार नहीं मानते। उनकी ज़िंदगी संघर्षों से भरी हो सकती है, लेकिन वो अंदर से हमेशा रोशन रहते हैं।
*उम्मीद, ज़िंदगी की पहली और आख़िरी ज़रूरत*
यह सांसों में छुपी हुई वह ऊर्जा है जो हमें रोज़ जीने का कारण देती है। इसलिए हमें अपनी उम्मीद को कभी बुझने नहीं देना चाहिए।
दूसरों की उम्मीदों को भी कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि शायद किसी की उम्मीद आप से ही जुड़ी हो ।
आइए, हम सभी यह प्रण लें कि-
हम खुद से उम्मीद रखना नहीं छोड़ेंगे।
हम दूसरों की उम्मीदों का सम्मान करेंगे।
और हम हर हाल में अपने रब पर भरोसा रखेंगे।
क्योंकि जब तक उम्मीद ज़िंदा है, तब तक हम भी ज़िंदा हैं। *(विभूति फीचर्स)*



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