दो महादेवियों का आज है मिलन सैकड़ों भक्त होगें साक्षी

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लालकुआँ/बाबा विश्वनाथ माँ जगदीशिला कि 24 वीं डोली रथ यात्रा आज दोपहर लगभग ढाई बजे अवंतिका मंदिर पहुंचेगी
29 दिवसीय संपूर्ण उत्तराखंड का देव दर्शन कार्यक्रम यात्रा के तहत यह डोली रथ यात्रा आज लालकुआं पहुंच रही है यहां अवंतिका मंदिर में बाबा विश्वनाथ माँ जगदीशिला की 24वीं रथ यात्रा के स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई हैं
पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री मंत्री प्रसाद नैथानी के नेतृत्व में यह डोली रथयात्रा यहां पहुंचेगी यहां माँ अवंतिका मंदिर में पूजन अर्चन कार्यक्रम के पश्चात डोली अपने अग्रिम यात्रा की ओर प्रस्थान करेगी
सामाजिक कार्यकर्त्ता हेमवती नन्दन दुर्गापाल ने बताया कि पूर्व मन्त्री श्री मंत्री प्रसाद नैथानी के नेतृत्व में भगवान विश्वनाथ जगदीशशिला डोली की यह 24 वीं यात्रा है। जो पूरे उत्तराखंड के 13 जिलो में पिछले 24 सालों से निकाली जा रही है। यात्रा का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड समेत विश्व कल्याण की परम भावना है
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड देवताओं की भूमि है और यहां के कण-कण में देवी देवताओं का वास है। देवत्व की आभा यहां पग -पग पर झलकती है गंगा दशहरा के दिन भगवान विश्व नाथ जगदीशशिला डोली का समापन किया जाता है

डोली की अगुवाई करनें वाले पूर्व कैबीनेट मम्त्री श्री मन्त्री प्रसाद नैथानी के अनुसार डोली अब तक 24 वर्षों के भ्रमण कर 254 देवालयों को चिन्हित कर चुकी है। अभी 800 देवालयों को और चिन्हित कर उत्तराखण्ड में 1000 धाम स्थापित करने का संकल्प है। इस वर्ष डोली पुनः दूसरे चरण में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बदरीनाथ के भ्रमण पर दिनांक 3 मई 2023 से 30 मई 2023 को गंगा दशहरा के अवसर पर विशोन पर्वत पहुंचेगी।
वे कहते है यह डोली बोली बोलती है संतान प्राप्ति के साथ-साथ धन एवं एश्वर्य प्राप्ति, यश प्राप्ति तथा जिस स्थान पर डोली बैठती है या विश्राम करती है उस स्थान का या उस इलाके के भक्तगणों का जो इसकी यात्रा में सम्मिलित होते है उनकी एक साल के अन्दर मनोकामना सुनिश्चित पूर्ण करती है। आज पूरे उत्तराखण्ड में बहुत से भक्तगण इसके दिये हुए आशीर्वाद से अपना जीवन सुखमय तरीके से यापन कर रहे हैं।
उन्होने बताया इस डोली यात्रा में प्रतिवर्ष विभिन्न स्थानों पर साधू-संत, सरकार के मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगण, विधायकगण, महापौर ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत नगरपालिका अध्यक्षगण, प्रधान एवं क्षेत्र पंचायतगण, अधिकारी एवं कर्मचारी गण तथा सभी धर्मो के लोग सम्मिलित होकर यात्रा को सफल बनाते है।

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डोली यात्रा विशुद्ध रूप से देव यात्रा है इसमें केवल देवताओं एवं देवियों का ही अवतरण पश्वा (डंगरिया) लोगों पर होता है तथा सभी मिलकर भक्तगणों को आशीर्वाद एवं दर्शन देते हैं यह डोली यात्रा विश्व की पहली डोली यात्रा जो संपूर्ण जगत की खुशहाली एवं शांति के लिए प्रतिवर्ष गंगा दशहरा के 30 दिन पूर्व विशोन पर्वत से चलकर पूरे उत्तराखण्ड की 10.500 कि०मी० की दूरी एवं देवालयों की परिक्रमा कर अपने भक्तगणों की मनोकामना पूरी करने का आशीर्वाद देकर पुनः विशोन पर्वत पर ही अपनी यात्रा का समापन करती है।

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