गुमनामी के साये में गुम है, देवी का यह स्थल, रहस्यों की इस महादेवी का नाम शायद आप पहली बार सुन रहे होगें
शैल पर्वत वासिनी कालिका मन्दिर गंगोलीहाट की पर्वत मालाओं की श्रृंखलाओं में एक से बढ़कर एक महाप्रतापी देवी – देवताओं का वास है इस क्षेत्र की गुफाएं भी अलौकिक अद्भूत व अनजान रहस्यों को अपने आँचल में समेटे हुए है इस भूमि की उपमां करते हुए कहा गया है
जैसै सतियों में माता पार्वती श्रेष्ठ़ है,देवताओं में विष्णु,सरोवरों में समुद्र,नदियों में गंगा,योगियों में याज्ञवल्क्य,भक्तों में नारद,शिलाओं में वैष्णवी शालग्रामशिला,वनों में वदरीवन,धेनुओं में कामधेनु,मनुष्यों में विप्र,विप्रों में ज्ञानदाता,स्त्रियों में पतिव्रता,प्रियों में पुत्र,पदार्थों में सुवर्ण ,मुनियों में शुकदेव,सर्वज्ञों में व्यास देव ,देशो में भारत,मनुष्यों में राजा,देवताओं में इन्द्र ,वसुओं में कुबेर,पुरियों में कैलाशपुरी,अप्सराओं में1 रम्भा,गन्धर्वो में तुम्बरू,क्षेत्रों में केदार,व पर्वतों में हिमालय,हिमालय में गंगावली श्रेष्ठ़ है
यहाँ की भूमि में जरमाल गाँव से आगे कनारा गूंथ से लगभग चार किलोमीटर वियावान वन में जागर देवी का प्राचीन गुफा रूपी मन्दिर है गंगावली क्षेत्र की तमाम पर्वत मालाओं में तीर्थाटन का सदियों से विशेष महत्व रहा है। पौराणिक काल से मानस खण्ड का यह भूभाग परम पूजनीय रहा है इन्ही पूजनीय स्थलों में एक है जागर की देवी इस देवी के प्रति स्थानीय भक्तों में अगाध श्रद्धा है आध्यात्मिक चेतना के जागरण के लिए इनकी स्तुति की जाती है घनघोर जंगलों के मध्य स्थित जागरी देवी एक गुफा नुमा मंदिर में पूजित है सौदर्य की दृष्टि से इस क्षेत्र की मनोरम वादियों का वर्णन शब्दों से परे है
शिव व शक्ति की भूमि उत्तराखंड विश्व का एकमात्र ऐसा स्थल है जहाँ पर हर गाँव-हर कुनबे का अपना एक आराध्य देवता है। जिसमें गांवों के लोगों की आस्था रहती है। शिव-शक्ति के विविध रूपों की पूजा से लेकर भूमि व कुल देवताओं की पूजा के लिए प्रसिद्ध गंगोलीहाट के जरमाल गाँव से आगे वियावान वन में स्थित जागर देवी का रहस्य गुमनाम है इस स्थल को देखनें पर प्रतीत होता है कि यह स्थान कभी सिद्ध संतो की साधना स्थली रही होगी
कालिका माता का महिमामयी क्षेत्र होनें के नाते यहाँ आध्यात्मिक रहस्यों का अम्बार है यहाँ के ग्राम देवताओं की विरासत में जागर देवी की गुमनाम गाथा भी गुम है
गंगावली में ग्राम एवं लोक देवताओं की महिमा श्रद्धालुओं की धार्मिक चेतना को जगाती है। मान्यता है कि धार्मिक चेतना की जागृति के लिए जागर देवी की पूजा- अर्चना परम कल्याणकारी मानी गयी है पौराणिक गाथाओं में गुमनाम इस स्थान को यदि तीर्थाटन की दृष्टि से विकसित किया जाए यह अद्भूत स्थान धार्मिक चेतना का विशेष केन्द्र बन सकता है पौराणिक काल के इतिहास को प्रतिविंबित करती देवी की यह पावन स्थली धार्मिक विकास से बिलकुल अछूती हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सुंदर पर्वतमालाएं व घाटियों मैं बिखरा अलौकिक वातावरण इन सबके बीच बद्रीनाथ मन्दिर कनारा देवी व आगे जागर देवी पहाड़ी पर गुफा के भीतर माँ भगवती का भव्य दरबार रहस्य रोमांच की अद्भुत धरोहर है स्थानीय भक्त सूरज भण्डारी बताते हैं कि यहाँ पर देवी के दरबार में पूजन की परम्परा सदियों से चली आ रही है ऐसी मान्यता है कि जब महाकाली ने देवताओं की प्रार्थना पर शैल पर्वत में राक्षसों का बध करने के लिए विराट रूप धारण किया तो अनेक सहायक देवी देवताओं ने भी प्रकट होकर माँ काली की वंदना की जागरी देवी को माँ जगदम्बा का ही एक स्वरूप माना जाता है कहा जाता है कि जागरी देवी अपने भक्तों पर विशेष कृपा करती है माना जाता है कि भक्तों में आध्यात्मिक जागरण का प्रकाश शक्ति स्वरूपा जागरी देवी की कृपा से ही होता यह देवी अनेक रूपों में अपनी लीलाएं करती है इनके अनेकों नाम है
जागृति ज्योत्सना जाहन्वी जानकी
जानवी जयंती जगदम्बा जगदम्बिका जगत माता जगमोहिनी जय शक्ति जयप्रिया जय श्री जय सुधा जयवंती जनहिता ज्योत्सनी ज्योति श्री ज्योतिषा जयमाला जयवंती जलधि जलकंठा जल्पा जनिशा जयललिता जयपूर्णा सहित अनेकों नामों व रूपो में इनकी ही स्तुति होती है
जागरदेवी गुफा की दूरी कनारा गुंथ से 4-5 किलोमीटर कवैनाड से 3 किलोमीटर लगभग है ग्रामीणों के अनुसार इस पौराणिक गुफा का पता लगभग 1960 के आसपास चला
इस सम्बन्ध में कहा जाता है कि जागरदेवी ओर कवैनाडा के बीच में कपतड नाम स्थान है यहां निवास करनें वाले भंडारी गांव के मेहता लोग हैं, कहते हैं इस परिवार मे एक महिला बड़ी भक्ति – भाव वाली थी उनमें माता भी अवतरित होती थी, अब वह रही नहीं, उस समय इस महिला को स्वपन में आकर माता शक्ति ने गुफा में होने का संकेत दिया, वह महिला स्वप्न के आधार पर सुबह-सुबह उठ कर दिया बात्ती लेकर उस विहंगम जंगल के गुफा में पहुंची , उन्होंने देखा गुफा में कुंड है वहां का आश्चर्य जनक दृश्य देखकर भाव विभोर उस महिला ने कनारा गूंथ भंडारी गांव के लोगों को जवाब भिजवाया यहां आओ जागरण के माता की गुफा मिली है , माता अवतरित हुई है, कहते हैं उस दिन यह समाचार प्राप्त होने के बाद भी कोई नहीं पहुंचा , वह महिला वहां उस विहंगम जंगल में अकेले रही , जब अगले दिन कनारा गूथ, भंडारी गांव से लोग पहुंचे लोग अचरज में पड़ गए यह अकेले केसे रही इस वियावान जंगल में, महिला ने बताया कि रात बार बार आवाज आती थी चिंता मत कर मैं तेरे साथ हूं, तब से स्थानीय भक्त जन पूजा पाठ करने जाते हैं
कुल मिलाकर आसपास के गाँवों के लोग समय – समय पर यहाँ पहुंचकर देवी का पूजन करते है
रिपोर्ट – रमाकान्त पन्त
लोकेशन – गंगोलीहाट
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