बिन्दुखत्ता के युवा समाज सेवी सोनू पाण्डेय ने उत्तराखण्ड के पावन स्थल धारी देवी के दरबार में पहुंचकर क्षेत्र की सुख, समृद्धि व मंगल कामना को लेकर माँ के चरणों में आराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित किये तथा लोक मंगल की कामना की
उल्लेखनीय है , कि महामाया महाकाली को समर्पित धारी देवी माता का मन्दिर परम आस्था व भक्ति का केन्द्र है गढ़वाल मण्डल के श्रीनगर क्षेत्र में स्थित देवी का यह पावन स्थल पौराणिक काल से आराधना का केन्द्र रहा है भक्तों का मानना है कि यहाँ स्थित माता की मूर्ति प्रतिदिन तीन बार अपना स्वरूप बदलती है प्रथम चरण में कन्या रूप दूसरे पहर में मातृ रूप और तीसरे पहर में यह मूर्ति बृद्ध स्वरूप में दिखती है
श्रीनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित महामाया महाकाली का यह पावन दरबार सम्पूर्ण उत्तराखण्ड सहित देश विदेश के लोगों की आस्था का भव्य केन्द्र है झील के बीच में स्थित इस देवी को चारों धामों की रक्षक देवी के रूप में भी पूजते है
देवभूमि उत्तराखंड में महाकाली के प्रसिद्ध मन्दिरों में धारी देवी एक है यह मन्दिर कल्यासौड़ में धारी गांव की पावन गोद में स्थित है। कल- कल धुन में बहती अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर आध्यात्म की विराट आभा को अपनें आँचल में समेटे हुए है चार धाम यात्रा पर जानें वाले भक्तजन अक्सर यहाँ शीश नवाने आते है
धारी गांव की देवी के नाम से प्रसिद्ध इस स्थल पर माँ के शीष की पूजा होती है इनके धड़ वाला हिस्सा कालीमठ में है जो माँ मथानी देवी के नाम से प्रसिद्द है, पौड़ी जिले में स्थित माँ धारी के बारे में जनमानस में अनेक दंत कथाएं प्रचलित है बारहाल यह धाम महाशक्ति स्थल के रूप में पूज्यनीय है
यहाँ के दर्शन कर लौटे समाज सेवी सोनू पाण्डेय ने बताया माँ धारी की महिमां अपरम्पार है यहाँ की यात्रा उनके जीवन का परम सौभाग्य है
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