+ वर्षाकाल में अधिक से अधिक पेड़ लगाने को ग्रामीणों से की अपील
+ पानी, पर्यावरण और भविष्य बचाने के लिए जनसहभागिता को बताया जरूरी
+ वन विभाग, उद्यान विभाग व सरकार से पंचायत क्षेत्रों और समीपवर्ती जंगलों में सघन पौधारोपण अभियान अनिवार्य किये जाने का किया अनुरोध
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हल्दूचौड़ ( नैनीताल ), प्रकृति का चेतना पर्व ” हरेला ” के पावन अवसर पर यहाँ ग्राम सभा बमेठा बंगर केशव के प्रधान हरेन्द्र असगोला ने अपनी ग्राम सभा में २०० फलदार पौंधे वितरित करके प्रकृति व पर्यावरण को लेकर जन जागरूकता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया ।
ग्राम प्रधान श्री असगोला ने एक दिन पूर्व ही अपने आवास पर आम, लीची, अमरूद, कागजी नीबू , आंवला आदि के 200 से अधिक पौंधे लाकर रख दिये थे और हरेला पर्व की सुबह-सुबह ग्रामीणों को बुलाकर कर पेड़ ले जाने और अपने – अपने घरों के आस-पास रोपित करने का अनुरोध किया । ग्रामीणों में भी ग्राम प्रधान हरेन्द्र असगोला की इस शानदार पहल को लेकर अभूतपूर्व उत्साह देखा गया और तय संख्या में अपनी – अपनी जरूरत के हिसाब से फलदार पौंधे प्राप्त कर अपने घरों के आस पास रोपित किये। बहुत से ग्रामीणों को उनके घर पर जा कर भी पौंधे पहुंचाये गये।
हरियाली व खुशहाली का प्रतीक कुमाऊं के इस प्रसिद्ध लोक पर्व पर पौंधे लगाने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पेड़ लगा कर पर्यावरण के प्रति जन चेतना का संदेश देना ही इस परम्परा का प्रमुख उद्देश्य रहा है। परन्तु श्री असगोला ने इस परम्परा को जीवित रखते हुए और अधिक मजबूत बनाने के मकसद से एक सामूहिक आयोजन के तहत पौधारोपण कराने की पहल शुरू की, जिसको लेकर महिलाओ, युवाओ और खासतौर से बच्चों में खासा उत्साह देखा गया।
इस अवसर पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्षा काल में सभी लोग घरों के आस-पास तथा खेतों में अधिक से अधिक पौंधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान सुनिश्चित करें । श्री असगोला ने कहा कि पर्यावरण को लेकर पूर्वजों की उस महान सोच को हमें समझना होगा और इसे आगे बढ़ाने के लिए अपनी मानवीय जिम्मेवारी निभानी होगी
हरेन्द्र असंगोला ने कहा कि भाबर क्षेत्र में दिनो – दिन पानी की समस्या गहरा रही है, गर्मी व सर्दी का मिजाज बदल रहा है और पर्यावरण का संकट भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में पानी व पर्यावरण बचाना सभी की सामूहिक जिम्मेवारी बनती है।
श्री असगोला ने वन विभाग, उद्यान विभाग व राज्य सरकार से भी अनुरोध किया है कि प्रत्येक वर्षाकाल में ग्रामीणो को अच्छी प्रजाति के फलदार व छायादार पौंधे उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था हो और ग्रामीण आवादी क्षेत्रो के साथ – साथ समीपवर्ती वन्य क्षेत्रो में भी एक अनिवार्य अभियान के तहत पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित कराये जाने चाहिए । उन्होंने कहा कि जन जागरूकता के साथ ही जनसहभागिता भी सुनिश्चित हो, तभी पर्यावरण की सुरक्षा हो सकेगी और हरेला पर्व का संदेश सार्थक हो सकेगा।
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