रामायण काल में एक से बढ़कर एक महा प्रतापी योद्धा इस धरती पर हुए रावण जैसे महा बलशाली योद्धा की गाथा तो सर्वविदित है ही साथ ही जामवंत बाली अतिकाय मेघनाथ नरात्तक कुंभकरण जैसे महा बलशाली योद्धाओं की बहुत लंबी श्रृंखला रामायण काल की अद्भुत गाथा को दर्शाती है लेकिन इन तमाम पात्रों में रामायण काल के भीतर एक ऐसा पात्र भी था जो रावण से भी 10 गुना अधिक बलशाली था महान योद्धा के साथ-साथ महान देवी भक्त महा मायावी असुर के रूप में इसकी ख्याति पाताल से लेकर तीनों लोकों में गुंजायमान थी
असुर होने के बाद भी धर्मात्मा राजा के रूप में यह राजा प्रसिद्ध था इस राजा का नाम था पाताल नरेश अहिरावण इस महा प्रतापी राजा को मुक्त करने के लिए स्वयं भगवान शंकर को 11 वां रूद्र रूप धारण करके प्रभु श्री राम की सेवा में अवतरित होना पड़ा था साथ ही रुद्रावतार हनुमान ने इस का वध किया तो उन्हें पंच स्वरूप को धारण करना पड़ा था यहीं से हनुमान जी पंचमुखी हनुमान भी कहलाए क्योंकि भगवान शंकर के अवतार बन कर आए हनुमान जी ने स्वयं इस बलशाली देवी भक्त को अपने परम पंच स्वरूप के भी दर्शन दिए रावण को समझाने के अहिरावण ने कई प्रयास किए लेकिन वो सफल नहीं हो सका
आखिरकार अहिरावण ने विभीषण का रूप धारण कर राम लखन का हरण किया जिन्हें हनुमान जी पाताल लोक से छुड़ाकर लाये अहिरावण के सौर्य की गाथा इतनी प्रबल थी कि स्वंय हनुमान जी को इससे युद्ध करनें में भगवान शंकर का विशेष स्मरण कर पंच स्वरूप धारण करना पड़ा है अहिरावण के रावण से भी दस गुना अधिक बलशाली होने की गाथा कृतवासी रामायण में मिलती है राम के साथ युद्ध के दौरान जब रावण का बेटा मेघनाद मारा गया था तब उसने अपने भाई अहिरावण से मदद मांगी थी पाताल के स्वामी अहिरावण ने अपने भाई को मदद का वचन दिया था अहिरावण विश्रवा ऋषि के पुत्र और रावण के भाई थे।
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