शुक्रताल से शुरु हुई थी श्रीमद् भागवत कथा: अवनीश त्यागी

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मुजफ्फरनगर के समीप स्थित शुक्रताल तीर्थ का महत्व युगों – युगों से परम पूजनीय है यह भूमि आध्यात्मिक जगत की विराट भूमि है शुक्रताल प्राचीन पवित्र तीर्थस्थल के रूप में जगत में प्रसिद्ध है,इस क्षेत्र के परम आस्थावान भक्त अवनीश कुमार त्यागी कहते हैं जो भी प्राणी यहां पहुंचकर श्रद्वा भावना के साथ श्री हरि का स्मरण करता है वह परम लोक कल्याण का भागी बनता है श्री त्यागी ने बताया यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस तीर्थ की कीर्ति पुराणों में सुन्दर शब्दों में गायी गयी है गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रताल जिला मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐसा पावन स्थल है जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है।

 

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यही वह स्थान बताया जाता है जहां शुकदेव जी ने राजा जनमेजय को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया जिस वृक्ष के नीचे बैठकर उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा सुना कर राजा जन्मेजय को तक्षक नाग के भय से मुक्ति प्रदान करवायी वह वृक्ष यहाँ की परम शोभा है विराट आश्चर्य की बात तो यह है कि यह वृक्ष भी परम पूज्यनीय यहां की भूमि में अनेक देवी देवताओं के मंदिर विराजमान हैं महाभारत काल से जुड़ी इस भूमि की महिमां अपरम्पार है यहाँ दूर दराज क्षेत्रों से निरन्तर भक्तों का आना जाना लगा रहता है गंगा नदी के तट पर स्थित इस तीर्थ में स्नान का भी बडा महत्व है

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