न्याय प्रदान करने वाली इस देवी का रहस्मय शक्ति स्थल गुमनामी के साये में गुम , शायद आप नाम भी पहली बार सुन रहे होगे, जानिये कौन है यह देवी

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गंगोलीहाट क्षेंत्र में निगाई देवी का प्राचीन स्थल श्रद्धा व आस्था के साथ परम पूज्यनीय है निगाई देवी को न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है
शैल पर्वत अर्थात् जिस पर्वत पर माता महाकाली का वास है उसी पर्वत के पास की पर्वत श्रृंखला में निगाई देवी का पावन स्थल है गंगोलीहाट के जरमाल गाँव से आगे कनारा गूंथ गाँव से आगे रामगंगा के तट पर निगाई देवी का वास है
खासतौर से न्याय की आशा में लोग इस दरबार में पहुंचकर न्याय की पुकार लगाते है कहते है देवी के इस दरबार में की गयी आराधना से न्याय की प्राप्ति होती है दूरस्थ वन में स्थित होनें के कारण यह स्थान गुमनामी के साये में गुम है
इस स्थान का प्राकृतिक सौदर्य साधना की दृष्टि से बेहद उपयोगी है कल – कल धुन में रामगंगा के तट के समीप न्याय की इस देवी को निगाई देवी कहा जाता है इस स्थान पर पहुंचकर सांसारिक मायाजाल में भटके मानव की समस्त व्याधियां यूं शान्त हो जाती है जैसे अग्नि की लौ पाते ही तिनका भस्म हो जाता है
हिमालय की पावन भूमि जनपद पिथौरागढ़ के कनारा गूंथ नामक क्षेत्र में स्थित न्याय की देवी का दरबार भक्त जनों के लिए माता भवानी की और से उनकी कृपा की अलौकिक सौगात है, अभीष्ट कार्यों की सिद्वियों के लिए इनकी शरणागत सब प्रकार से मनोवांछित फल प्रदान करने वाली कही गयी है, दूर दराज क्षेत्रों से भी लोग माँ का स्मरण कर मनौती मागते है, तथा मनौती पूर्ण होने पर दर्शन के लिए यहा अवश्य पधारते है, इस पौराणिक मंदिर में शक्ति कैसे और कब अवतरित हुई इसकी कोई प्रमाणिक जानकारी नही हो पायी है ,दंत कथाओं में कई भक्त मानते है, कि यह देवी कालिका का ही एक अंश है तत्काल न्याय देने के कारण ही इस देवी को न्याय की देवी माना जाता है, और इसी भाव से इनकी पूजा प्रतिष्ठा सम्पन कराने की परम्परा है,
इस समस्त चराचर जगत की क्रियाये शक्ति की कृपा से सम्पन हो रही है। शक्ति की कृपा से मनुष्य के पाप सूखे वन की भांति जलकर भस्म हो जाते हैं, जिससे मनुष्य शोक, क्लेश, दु:ख से रहित हो जाते है। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के सामने अंधकार छंट जाता है, उसी प्रकार माँ की कृपा से मनुष्य के सभी मनोरथ सिद्व हो जातें है। शिव व शक्ति के युगल महात्म्य से यहां का समूचा क्षेत्र पूज्यनीय है। माँ परम न्याय करती है हिमालय के देवी शक्ति स्थल में निगाई माता का महात्म्य सबसे निराला है, सिद्वि की अभिलाषा रखने वाले तथा ऐश्वर्य की कामना करने वाले लोगों के लिए भी यह स्थान त्वरित फलदायक है, इस देवी को लकड़हारा देवी के नाम से भी पुकारा जाता है कहा जाता है पूर्व में इस स्थान पर सांय चार बजे बाद कोई नही जाता था और इस स्थान पर लकड़ी कटनें की आवाजें आती थी बाद में विद्वानों के परामर्श पर यहां मन्दिर की स्थापना की गयी दूर दराज क्षेत्रों के लोग जब अपनें घर आते है तो निगाई देवी के दर्शन अवश्य करते है

देवी के महान् स्वरूप में पूजित होने के कारण नेषिता नोबोया अनुशासन प्रिय होने के कारण इन्हे नियता परम आनन्द को प्रदान करने के कारण निवरति परम सुन्दरी होने के कारण नित्यसरी न्याय की देवी होने के कारण नीतीशहा सनातन भाव के कारण नित्य देवी भक्ति व दृढ़ता प्रदान करने के कारण निष्ठा देवी निषिधा चिन्ता हरण करने के कारण निसचीता प्रकृति स्वरूप होने के कारण निसरगा जन्म मृत्यु के बन्धनों को काटने के कारण निर्मुक्ता रोग मुक्त हरिणी होने के कारण निरामया निराकार होने के कारण निराकारा विजय प्रदान करने के कारण निकशिप्ता अजेय होने के कारण निकिता सरस्वती रूप होने के कारण निकन्दार्या निहान समृद्धि प्रदान करने के कारण नींदी गायत्री रूप होने के कारण नेश्वरी प्रकृति रूप होने के कारण नेसरा प्रकाश पुन्ज के कारण नेरया सुन्दर स्वरूप के कारण नीतू नील देवी आदि नामों से भी भक्तजन इन्हें पुकारते है

क्षेंत्र के आस्थावान भक्त सूरज सिंह भण्डारी ने बताया इस क्षेंत्र में अनेकों वरदायी देवी – देवताओं का वास है निगाई देवी उन्हीं में एक है तीर्थाटन की दृष्टि से बेहद अलौकिक सुन्दर स्थान होनें के बावजूद यह स्थान उपेक्षित है
रिपोर्ट – रमाकान्त पन्त
लोकेशन – गंगोलीहाट

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