हजारों भक्तों ने किया प्रसाद ग्रहण
योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है,बाबा की कथा
लालकुआ ।श्री काशीदास बाबा की महिमा अपरम्पार है, जो भी प्राणी अपने आराधना के श्रद्वापुष्प बाबा के चरणों में अर्पित करता है,वह परम कल्याण का भागी बनता है, उसके समस्त रोग,शोक,दुख,दरिद्रता एंव विपदाओं का हरण हो जाता है।महान् गौ भक्त,गौ सेवक ,गौ रक्षक के रूप में श्री काशीदास बाबा की प्रसिद्धी सर्वविदित है,
योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के परम सखा के रुप में भी इन्हें जाना जाता है,महायोगी महात्मा के रुप में पूजित योंगी काशीदास जी की तपोभूमि बलिया जिले का दआबा क्षेत्र माना जाता है,यह भी मान्यता है,जो इनकी निष्ठापूर्वक भक्ति करता है, उसे सहज में ही भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है,इनकी समाधी स्थल बक्सर में है,देश व विदेशो में इनके अनेकों भक्त है, लोग बड़े ही भक्ति भाव से इनका पूजन व वदंन करके हन्हें याद करते है,माना जाता है, यह पूजा सबसे पहले द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने भक्त, के सम्मान में गोबर्धन पर्वत की पूजा करके शुरू की
पौराणिक कथाओं के अनुसार नंद गांव के लोग भगवान श्री कृष्ण के कहने पर इंद्र की पूजा छोड़कर गोबर्धन पर्वत की पूजा करने लगे जिससे इंद्र भगवान क्रोधित हो गये। इंद्र के निर्देश पर वरूण देव ने लगातार सात रोज वर्षा कर दी। वर्षा से नंद गांव के ग्वालों का जीना दुश्वार हो गया।
बाबा श्रीकाशीदास के विनय पर भगवान श्री कृष्ण ने पूरे गोबर्धन पर्वत को अपने उंगली पर उठा लिया और उसी के नीचे समस्त ग्वाल-बाल अपने गायों को लेकर शरणागत हो गये,अंत में इंद्र की पराजय हुई। इंद्र ने श्री कृष्ण से आकर माफी मांगी।माना जाता है,तभी से इनका पूजन शुरू हुआं ये परांकुश मुनि की शिष्य परम्परा के नौवीं पीढी के आत्मारामी सन्त स्वामी रामानन्द जी के शिष्य भी कहे जाते है,
उत्तर भारत के ,यादव ,ग्वाला जाति के लोग अपने पशुओ की बीमारी से रक्षा , खेती के कार्य मे वर्षा की स्थिति से खेतों की खुशहाली के लिए सावन महिने मे काशीदास बाबा की पूजा करते है,सभी समुदाय के लोग बड़ी निष्ठा से पूजन में भाग लेते है ,जनपद नैनीताल के लालकुआं के सेंचुरी मिल प्रांगण में भी बाबा की पूजा बड़ी धूमधाम से आयोजित हुई
सीपीपी न्यू कालोनी में आयोजित पूजन कार्यक्रम में सैकड़ों भक्तो ने प्रसाद ग्रहण कर श्री काशीदास बाबा का आशीर्वाद लिया
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