आतंकवादी कार्रवाई के पश्चात पहलगाम जाने का मौका मिला वहां सन्नाटा छाया हुआ था। पहलगाम जहां कभी पर्यटकों की हमेशा चहल पहल रहती थी, वहां अब सूनापन दिखने लगा है। यहां के स्थानीय लोगों से मिलने से पता चला कि स्थिति कितनी बदली हुई है। कई दिनों से लोगों ने अपने घरों के चूल्हे नहीं जलाए हैं। महिलाएं और नौजवान आतंकवाद के विरुद्ध खड़े हैं। ऐसा लगता है कि कश्मीर में आतंकवाद पूरी तरह हार चुका है। अब घर-घर में लोकतंत्र की आवाज सुनने को मिल रही है। मुस्लिम महिलाएं जो कभी फौजी लोगों के विरुद्ध डटकर इकट्ठी हो जाती थीं वे आज मुझे रोती दिखाई दी। जैसे स्वयं उनका कोई रिश्तेदार इस घटना में मारा गया है। विचार बदलने में देर नहीं लगती कभी फौजियों पर पत्थर फेंकने वाली कश्मीरी महिलाएं और नौजवान अब शांति और लोकतंत्र की बातें करने लगे हैं।
लोकल लोगों से मिलने से पता चला कि अभी भी कुछ लालची लोग आतंकवादियों के स्थानीय मददगार बने हुए हैंलेकिन अब उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है इसलिए अब इनको पहचानने में देरी नहीं लगेगी। कुछ कट्टरपंथी लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर नीति पर बात करना कोई सरल काम नहीं है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी भारत पाक की मित्रता पर मीठी-मीठी बातें करते हैं और स्वयं अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने की चाहत पेश कर रहे हैं लेकिन उनकी यह मंशा कितनी ईमानदार है यह सब जानते हैं।
अमेरिका के प्रसिद्ध समाचार पत्र संडे टाईम के पत्रकार जैम्स कैरी का कहना है कि हर बार भारत पाकिस्तान की चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस जाता है जबकि कटु सच्चाई यह है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी गुप्तचर एजेंसी 1000 से ज्यादा आतंकवादियों को ट्रेनिंग देकर उसे नियंत्रण रेखा के पार भारत में धकेलने का काम कर रही है। पाकिस्तान की बढ़ती आतंकी गतिविधियों को स्वीकार करते हुए जेम्स कहते है कि आतंकवादी घटनाओं में 100 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। जम्मू कश्मीर में बड़े स्तर पर आतंकवादी मारे जा रहे हैं परंतु आतंकी गतिविधियों में कमी नहीं हो रही।
इस चुनौती को लेकर भारतीय सेना तंत्र और विदेशी समाचार पत्र लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं। जब कश्मीर में ऐसी रिपोर्ट मिल रही थी तो सरकार को अपना सुरक्षा तंत्र और राजनीतिक गतिविधियां दुरुस्त करके ठीक तरह से उपाय करने चाहिए थे। इतिहास गवाह है कि कश्मीर आतंकी गतिविधियों से कभी सुरक्षित नहीं रहा। पाकिस्तान की जिस आतंकवादी एजेंसी ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है उसका संबंध कजाकिस्तान से भी है। आखिर उनके पास हथियार किन लोगों ने पहुंचाए? उसकी पहचान के लिए भारतीय सैनिक एजेेंसियों को दो चार होना पड़ रहा है।
वहीं पाकिस्तान के पत्रकार रफीक अहमद ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए यह आखिरी हमला साबित हो सकता है। भारत के प्रहार में जो पाकिस्तान के पुराने आतंकवादी मारे गए हैं पाकिस्तानी सेना ने उन्हें ज्यादा महत्व दिया। आतंकी नेताओं की मौत के बाद पाकिस्तान की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लोग उनके अंतिम क्रियाकर्म में पहुंचे उससे लगता है पाकिस्तान की प्रत्येक पार्टी किसी न किसी आतंकवादी की आड़ का सहारा ले रही है।
पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र आजाद में रफीक उल्ला का कहना है कि पाकिस्तान समाप्त होने की कगार पर पहुंचा हुआ है। पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी लोग जानते हैं कि वह कभी भारत के विरुद्ध परोक्ष युद्ध नहीं जीत सकता।
पाकिस्तान में पहली बार देखने को मिला है कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों की स्थिति उतनी शक्तिशाली नहीं रही जितनी 5 वर्ष पहले हुआ करती थी। पहलगाम से 10 किलोमीटर दूर जहां हम ठहरे थे वहां भी स्थिति बदली हुई है। नई पीढ़ी भविष्य बनाने के लिए सोच रही। कश्मीर में सरकार धड़ाधड़ नई नौकरियां निकाल रही है। बच्चे आतंकवाद से दूर जा रहे हैं। कई कट्टरवादी इस्लामी नेताओं को नौजवानों ने इग्नोर कर दिया है। अब चंदा इकट्ठा करने वाले इस्लामी नेताओं का भी महत्व समाप्त होता जा रहा है। मौलवियों ने भी अपने भाषणों को नर्म कर दिया है। कट्टरवादी इमामों को मदरसों से दूर रहने को कहा गया है। धीरे-धीरे वातावरण भी बदल रहा है। जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार काफी सक्रिय है जो रोल उन लोगों ने अदा किया है वह भी अति प्रशंसनीय है। सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को खुले हाथ दिए गए हैं। पाकिस्तान के 9 आंतकी अड्डों पर भारतीय वायुसेना ने जो तबाही मचाई है उससे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां भयभीत हैं। लेकिन पाकिस्तान अपने लोगों को संतुष्ट करने के लिए आगे कोई बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान ने भारी गोला बारी की। पाकिस्तान की सेना ने जम्मू कश्मीर में हैवी शैलिंग की। 40 से ज्यादा राकेट छोड़े। बदले में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में जो तबाही मचाई है इससे पाकिस्तान को अपनी हैसियत का पता चल गया है।
पाकिस्तान के शासकों ने जिन भारतीय शर्तों पर समझौता किया है उससे लगता है कि वह अगले कई वर्षों तक भारत के साथ युद्ध लड़ने का सपना ही नहीं पाल सकते। अब पाकिस्तान को पता चल गया है कि जेहादियों का पालन पोषण करना उसके लिए सदैव घाटे का सौदा है। पाकिस्तान के सैनिक अधिकारी भी मानने लगे है कि आतंंकवाद का साथ देकर पाकिस्तान के पालिसी मेकरों ने पाकिस्तान को कंगाल बना दिया है। पाकिस्तान को अब पता चला है कि आतंकवाद दो मुंह वाला सांप है। जनरल मुशर्रफ ने अमेरिका से डालरों के लालच में अफगानिस्तान में जो राजनीतिक खेल खेला उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। आज भी पाकिस्तान को समझने की जरूरत है। कट्टरपंथी लोग आज भी सत्ता से खेल रहे हैं। आतंकवाद पाकिस्तान के लिए भस्मासुर साबित हुआ है। वाईस ऑफ अमेरिका ने भविष्यवाणी की थी कि जमीनी स्तर पर भारत के लोकतंत्र की जीत होगी और आतंकवाद हर हालात में हारेगा।
न्यूयार्क टाइम्स समाचार पत्र ने लिखा है कि लोकतंत्र मजबूत हुआ है जबकि आतंकवाद पूरी तरह हार चुका है। पाकिस्तान ने स्वयं लड़ाई में अपनी हार मान ली है। विकास के पथ पर चलने के लिए उसे 10 वर्ष पीछे धकेल दिया गया है इससे पाकिस्तानी सेना का मनोबल भी जहां गिरेगा वहीं उनकी साख को भी धक्का लगेगा। राजनीति के विशेषज्ञ इस सीजफायर को पाकिस्तान की पराजय के साथ जोड़कर देख रहे हैं और इस युद्ध ने भारत में मोदी को हीरो बना दिया है। भारतीय लोगों में मोदी की लोकप्रियता पहले से ज्यादा बढ़ी है।
(सुभाष आनंद -विभूति फीचर्स)



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