वाराणसी/ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्री विश्वेश्वर का अभिषेक 17 नदियों , 9 सप्तसागर और 16 तीर्थ के जल से किया गया
इस अभिषेक में अनेक काशीवासी, मंदिर महंत, तीर्थपुरोहितजन और विद्वानों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस आयोजन को आहूत करने वाले काशीवासियों ने मंदिर के कार्मिकों एवं अर्चकगण को भी इस पुण्य आयोजन में आमंत्रित कर उनकी सहभागिता प्राप्त की। सभी आयोजकों ने संयुक्त रूप से भगवान श्री विश्वनाथ जी का विधि पूर्वक जलाभिषेक व महास्नान संपन्न कर विश्व के कल्याणार्थ एवं ज्ञात-अज्ञात आपदाओं से समस्त काशी और समस्त विश्व की रक्षा हेतु प्रार्थना किया।
आयोजकों ने निरंतर श्री काशी विश्वनाथ धाम में बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या के दृष्टिगत श्रद्धालुओं की सुरक्षा तथा पवित्र श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का स्पर्श पूर्णतः बंद करने के लिए मंदिर न्यास से अनुरोध किया। आज के कार्यक्रम आयोजकों ने स्वयं भविष्व में भगवान विश्वनाथ के पवित्र ज्योतिर्लिंग का स्पर्श न करने का संकल्प भी लिया।
आयोजकों ने न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से वार्ता कर यह अवगत कराया कि काशी के ज्ञानसिंहासन पर विद्यमान श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की पवित्रता व शुचिता में
जन-जन के स्पर्शन से आने वाले दोष निवारण के निमित्त पुराणों शास्त्रों में कहे गए पवित्र गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, किरणा, धूतपापा, शुष्का/असि, वरुणा, कालगंगा, मंदाकिनी, गोदावरी, फल्गुनदी, बद्रीनाथ अलकनंदा, महाकाल उज्जैन क्षिप्रानदी, गोमती, सोन आदि 17 नदियों के जल तथा कैलाश मानसरोवर जल और श्वेतद्वीप, क्षीराब्धि अर्थात् क्षीरसमुद्र जल सहित 9 सप्तसागर जल एवं प्रयागतीर्थ, केदारतीर्थ, धन्वंतरिकूप, भीमकुंड, रामेश्वरतीर्थ, पंचगंगातीर्थ, विष्णुपादोंदकतीर्थ नागकूप, चन्द्रकूप, धर्मकूप, मणिकर्णिकातीर्थ, नंदीतीर्थ, तारकतीर्थ, शिवतीर्थ, ज्ञानतीर्थ, विश्वतीर्थ के पवित्रजल तीर्थ से विधिवत वेद ध्वनि के साथ संपन्न किया गया। अतः अग्रेत्तर स्पर्श की शास्त्रविरुद्ध परंपरा पर रोक लगाया जाय। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस संबंध में आदरणीय धर्माचार्यों, विद्वतजन आदि से विमर्श के पश्चात सक्षम स्तर से उचित निर्णय का आश्वासन दिया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने आश्वस्त किया कि न्यास सनातन परंपराओं एवं शास्त्रोक्त पद्धतियों का यथाशक्ति पालन सुनिश्चित कराने के अपने अधिनियम द्वारा विहित दायित्व के पालन हेतु कटिबद्ध है। तत्क्रम में इस विषय पर पर्याप्त विचार विमर्श के पश्चात सक्षम स्तर पर उचित निर्णय सुनिश्चित किया जाएगा।



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