अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 95 वर्षीय दादी मथुरा देवी ने ग्रामसभा की महिलाओं को दी बधाई , किया गौ पालन का आग्रह + गौ- प्रेमी व पशु प्रेमी दादी ने कहा गौ- आधारित अर्थव्यवस्था को पूरी तरह महिला केन्द्रित बनाने से ही देश बनेगा स्वस्थ व समृद्ध

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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 95 वर्षीय दादी मथुरा देवी ने ग्रामसभा की महिलाओं को दी बधाई , किया गौ पालन का आग्रह
+ गौ- प्रेमी व पशु प्रेमी दादी ने कहा गौ- आधारित अर्थव्यवस्था को पूरी तरह महिला केन्द्रित बनाने से ही देश बनेगा स्वस्थ व समृद्ध
+ पूजा व भजन की तरह आज भी गौ सेवा में रहती हैं तल्लीन, स्वयम करती हैं चारा- पानी व देखभाल की व्यवस्था
मोटाहल्दू ( नैनीताल ), अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज यहाँ जयपुर खीमा ग्रामसभा अन्तर्गत भगवानपुर- दुर्गदित्त गॉव निवासी 95 वर्षीय दादी श्रीमती मथुरा देवी ने अपनी ग्रामसभा की समस्त महिलाओं को हार्दिक बधाई दी और स्वावलम्बी बनने की शुभकामनाएं भी दी ।
उम के इस पड़ाव में भी पूरी तरह स्वस्थ, समर्थ व जागरूक दादी ने इस अवसर पर अपनी ग्रामसभा की महिलाओं से गौ-सेवा में रूचि लेने तथा घर- घर गौ पालन करने का आग्रह भी कर दिया ।

95 वर्षीय मथुरा देवी ने कहा कि आज की महिलाएं और खासकर गांवों की महिलाएं भी शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, यह बहुत अच्छी बात है, परन्तु गौ पालन जैसी पवित्र व परम्परागत व्यवसाय से मोहभंग होना बहुत ही चिन्ताजनक है ।
उन्होंने कहा कि शिक्षित महिलाओं को चाहिए कि वे गौपालन के लिए आधुनिक उननत संसाधनों व तकनीक का प्रयोग करते हुए अपने पुस्तैनी व परम्परा से चले आ रहे व्यवसाय को आगे बढ़ायें। श्रीमती मथुरा देवी ने कहा कि गांवों की अर्थव्यवस्था में गाय और गौवंश के महत्व को समय रहते समझना होगा। उन्होंने कहा गौवंश बचेगा तो खेती-बाड़ी बचेगी और सनातन संस्कृति की तमाम परम्पराएं भी बची रहेंगी, वरना हमारी सनातनी पहचान लुप्त हो जायेगी।

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श्रीमती मथुरा देवी ने कहा आज सरकारें महिला सशक्तिकरण दिशा में बहुत सारी योजनाएं चला रही हैं, जिनके बहुत से लाभ भी मिल रहे हैं, परन्तु इसमें चिन्ताजनक बात यह है कि ग्रामीण महिलाएं अब गौ पालन व खेती – बाड़ी से दूर होती जा रही हैं। यदि इस दिशा में व्यावहारिक कदम नहीं उठाए गए तो निकट भविष्य में जहाँ युगों पुराना एक मजबूत ग्रामीण अर्थ तंत्र समाप्त हो जायेगा वहीं सनातन संस्कृति की बहुत सी सामाजिक व धार्मिक परम्पराएं भी लुप्त हो जायेंगी।
श्रीमती मथुरा देवी ने लगे हाथ सरकार को भी नसीहत दे डाली कि गौ- आधारित तथा डेरी आधारित अर्थव्यवस्था को पूरी तरह महिला केन्द्रित बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गौ पालन, गौ सेवा एवं गौ रक्षा से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियों में सौ फीसदी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित किये बिना ग्रामीण महिलाओं का सम्मानजनक सशक्तिकरण सम्भव नहीं होगा। इस प्रकार के प्रयासों से ही समाज व राष्ट्र सही मायने में स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त बन सकेगा।
बताते चलें कि 95 वर्षीय श्रीमती मथुरा देवी धर्म पत्नी स्व० लक्ष्मी दत्त भट्ट बचपन से ही गौ प्रेमी, पशु प्रेमी व धर्म परायण महिला रही हैं। जीवन भर गौ सेवा और खेती बाड़ी के काम को इन्होंने पूजा पाठ व भगवान के भजन की तरह माना और इस उम्र में भी गाय पालती हैं, अपने हाथों से चारा- पानी की व्यवस्था करती हैं, कुट्टी मशीन स्वयम चलाती हैं और गोबर आदि का निस्तारण भी स्वयम करती हैं। इसी साधना का प्रतिफल है कि आज भी वह बिना चश्मे के साफ देख सकती हैं, श्रवण शक्ति में कोई कमी नहीं है, वाक पटुता और हाजिर जबाबी देखते ही बनती है और याददास्त भी गजब की है। अर्थात शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ हैं।
यहाँ यह भी बताते चलें कि श्रीमती मथुरा देवी का जन्म वर्मा देश में यानी आज के म्यानमार में हुआ था। दरअसल भारत की आजादी से पूर्व इनके पिता स्व० शिरोमणी कापड़ी वर्मा पुलिस में दारोगा के पद पर कार्यरत थे। इनकी माता स्व० मंगला देवी भी तब वर्मा में ही रहती थीं । माता – पिता के साथ वहीं इनका बचपन बीता ।
95 वर्षीय दादी मथुरा देवी की एक खास बात यह भी है कि बर्मी भाषा के साथ – साथ नेपाली, हिन्दी व कुमाउनी भाषा पर इनकी अच्छी पकड़ है। आज भी वह इन सभी भाषाओं को धाराप्रवाह बोल सकती हैं।
वर्तमान मे वह अपनी पुत्री श्रीमती गीता पाण्डे और उनके परिवार के साथ – साथ बगल में ही अपने पोते श्री रोहित भट्ट तथा पुत्रवधू श्रीमती तुलसी भट्ट के संयुक्त सेवा- टहल में रहती हैं। यानी वर्षों पूर्व पति के निधन के बाद लम्बे समय से वह इसी भगवानपुर दुर्गादत्त गॉव में आनन्दपूर्वक रह रही हैं।
कुल मिलाकर श्रीमती मथुरा देवी का व्यक्तित्व तथा उनकी मर्यादित व सनातनी जीवन शैली आज की पीढ़ी के लिए वास्तव में अनुकरणीय है, बहुत पवित्र प्रेरणा है।
मदन जलाल मधुकर

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