आचार्य पंत दम्पति ने दी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं कहा माँ भद्रकाली के पूजन से प्राप्त होती है श्री कृष्ण की कृपा

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बागेश्वर/ कमस्यार घाटी में स्थित जन- जन की आस्था का परम केन्द्र माँ भद्रकाली मन्दिर के आचार्य एवं मन्दिर समिति के मुख्य संरक्षक योगेश पन्त एवं उनकी धर्म पत्नी गायत्री एयरकॉन लिमिटेडेट कम्पनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती ज्योति पंत ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की समस्त क्षेत्रवासियों व देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के साथ- साथ माँ भद्रकाली का स्मरण करने से समस्त मनोरथ पूर्ण होते है

उन्होंने बताया योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण व हलधर बलराम जी की ईष्ट देवी माँ भद्रकाली ही है माँ की कृपा से ही संसार में उन्होंने अपनी लीलाएं पूर्ण की

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उन्होंनें कहा विभिन्न पुराणों में
माँ भद्रकाली का स्थान – स्थान पर वर्णन आता है शंखचूड़ का बध करने में माता भद्रकाली ने भगवान शिव की सहायता की थी भगवान शंकर और शंखचूड़ के युद्ध, माँ भद्रकाली ने प्रकट होकर राक्षसों के साथ घोर संग्राम करके भगवान शिव की सहायता की थी युद्ध में माँ भद्रकाली ने शंखचूड के सारे अस्त्र विफल कर दिए थे। माँ ने जब शंखचूड को मारने के लिए पाशुपतास्त्र अस्त्र चलाना चाहा तो आकाशवाणी ने माँ भद्रकाली से कहा कि वे शंखचूड पर पाशुपतास्त्र न चलाएं आकाशवाणी सुनकर माँ भद्रकाली ने यह अस्त्र रोक दिया।
बाद में इस युद्ध में कार्तिकेय जी को आगे किया गया अंततः मां भद्रकाली की सहायता से भगवान शिव कृपा से उसका वध हुआं समूचा ब्रह्मांड शिव शक्ति के जयकारों से गूंज उठा इसी तरह महाभारत युद्ध आरम्भ होने से पूर्व योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में पाण्डवों को विजय श्री के आशीर्वाद के लिए माँ भद्रकाली का पूजन करवाया था

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पन्त दम्पति ने बताया जनपद बागेश्वर का भद्रकाली क्षेत्र भी आध्यात्म जगत में प्राचीन काल से ही काफी प्रसिद्ध रहा है।नागराजाओं व विभिन्न नागों सहित कभी शाण्डिल ऋषि,कुशंडी ऋषि, पंतजली ऋषि, सहित असंख्य ऋषि मुनियों की तपस्या का केन्द्र रहा यह पावन क्षेत्रं तीर्थाटन की दृष्टि से बेहद उपयोगी है भद्रावती क्षेत्र में सनीउडियार का उडियार ही सनीउडियार की पहचान है।उडियार का तात्पर्य पर्वतीय भाषा में छोटी गुफा से है। यही प्रभु श्री कृष्ण के गुरु शाडिल्य ऋषि की तपस्या का केन्द्र रही इस गुफा में शांडिल्य ऋषि ने भी माँ भद्रकाली घोर तपस्या की और यहां माँ भद्रकाली के चरणों में अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हुए उन्होंने अनेक दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त की।

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महर्षि व्यास जी ने भी इस रमणीक घाटी का जिक्र स्कंद पुराण में किया है।इसे शिव व शक्ति की वासभूमि के नाम से भी पुकारा जाता है। इसी पावन भूमि पर गोपीवन व श्री कृष्ण एवं राधा की शिव भक्ति का प्रतीक गोपेश्वर महादेव जी विराजमान है

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