गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज धरती के नीचे पाताल लोक में ब्रह्मांड के परम गुरु श्री पाताल भुवनेश्वर नाथ जी का विशेष पूजन अर्चन किया गया पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रात : काल पूर्ण वैदिक विधान के साथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने पाताल लोक में पहुंचकर ब्रह्मांड के गुरु श्री भुवनेश्वर नाथ जी का पूजन किया तथा उन्होंने कहा कि पाताल भुवनेश्वर के भीतर विराजमान शिवलिंग ही गुरु का प्रतीक है क्योंकि इस शिवलिंग पर तीन अन्य पिड़ियां विराजमान है जो क्रमशः ब्रह्मा विष्णु व महेश का स्वरूप है इसलिए शिव को गुरु मानने वालों के लिए भुवनेश्वर नाथ जी ही परम आराध्य गुरु है उन्होंने बताया कि अयोध्या के राजा रितुपर्ण जो कि रामचंद्र जी के पूर्वज थे एवं पुष्कर के राजा नल ने भी भुवनेश्वर नाथ जी को परम गुरु के रूप में स्वीकार करके गुरुदेव से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की श्री भंडारी ने बताया कि पाताल भुवनेश्वर में विराजमान भगवान भोलेनाथ की जो भी गुरु रूप में स्तुति करता है वह परम कल्याण का भागी बनता है उन्होंने कहा कि भगवान शिव स्वयं अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं वही माता वही पिता वही गुरु और वही देवता है जो विभिन्न रूपों में समूचे जगत में प्रकाशमान है
पाताल लोक की यह गुफा जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट क्षेत्र के अंतर्गत पाताल भुवनेश्वर में है इस गुफा के भीतर समूचे ब्रह्मांड के रहस्य के साथ-साथ गुरु तत्व का भी परम रहस्य छिपा हुआ है
रिपोर्ट : रमाकान्त पन्त



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