दावाग्नि की चपेट में है गंगोलीहाट के अनेक वन क्षेंत्र

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वनों में आग लगने से पहाड़ों का सौंदर्य खाक हो रहा है जहां पहाड़ों में इन दिनों विभिन्न क्षेत्रों में अनेक जंगल भीषण दावाग्नि की चपेट में है वही गंगोलीहाट की सुनहरी पहाड़ियों में भी आग की लपटें है यहां के बांज बुरांस व विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटी से लकदक जंगलों में आग के कारण भारी नुक्सान हो रहा है,जिसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर पढ़ रहा है आग लगने का मुख्य कारण लोगो द्वारा पिरूल घास अपने घास के जंगलों में सूखे कांटे आदि की सफाई के लिए लगाई जाने वाली वजह मानी जा रही है। जंगलों में बांज की सुखी पत्तियां ,चीड़ के पिरुल उस आग को पेट्रोल की तरह तेजी से फैलने का रास्ता देती हैं । वन विभाग के लगभग 22 कर्मचारी गंगोलीहाट क्षेत्र से और लगभग इतने ही बेरीनाग क्षेत्र से रात दिन आग बुझाने में दिन रात लगे हुए हैं लेकिन एक तरफ खड़ी चट्टानी चढ़ाई तथा दूसरी ओर गहरी खाइयों को घेरे पहाड़ी जंगलों में जान जोखिम में डाल कर पूरे प्रयास के बाद भी आग मैं काबू नही पाया जा सका है गंगोलीहाट बेरीनाग का लगभग 100 किलोमीटर लंबा तथा इतना ही चौड़ाई वाला दुर्गम क्षेत्र रामेश्वर से सेराघाट तथा थल से सेरागड़ा सलाड़ तक बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ है , इतने बड़े क्षेत्र मैं जिनका जिम्मा संभालने के लिए पर्याप्त कर्मचारी नही है जंगलों में जैव विविधताओं के चलते समृद्ध जंगलों को जनता की उदासीनता तथा सरकार की उपेक्षाओं के कारण आग की भेंट चढ़ना पढ़ रहा है। हजारों की संख्या में जंगली मुर्गी,खरगोश,काकड़, घुरल,बाघ सहित विभिन्न प्रजातियां आग की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं तथा कई प्रकार की प्रजातियां असमय मृत्यु को प्राप्त हो रही हैं । लोगो को खांसी ,बुखार ,सरदर्द जैसी बीमारियां हो रही हैं ,पर्यावरण तथा स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी निद्रा में हैं । प्रशासन को भी कम से कम एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी गंगोलीहाट मैं स्थाई रूप से रखनी चाहिए ताकि रोड साइड में आग को नियंत्रित करके ऊपर नीचे फैलने से रोका जा सके । जानकारों का कहना है समय रहते इस पर कार्यवाही नही होगी तो भारी जान मॉल का नुकसान तो होगा ही पर्यावरण तथा वैश्विक तापमान वृद्धि का भी एक बड़ा कारण बन जायेगा । पहाड़ों के स्वच्छ हवा पानी में आजकल धुवा, कार्बन,तथा जहरीले विषाणु घुलमिल गए हैं बारिश न होने से ये कभी भी भयानक महामारी का रूप ले सकता है । इस पर शीघ्र ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है तथा जनता मैं विशेष जागरूकता के प्रयास करके सामूहिक मुहीम चलानी होगी ।

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इधर वन विभाग की गंगोलीहाट बेरीनाग की रेंजर कुमारी चंद्रा मेहरा ने बताया की लंबा क्षेत्र होने तथा लोगो द्वारा लगाई जाने वाली आग को काबू में करने के लिए कर्मचारी दिन रात लगे हुए हैं किंतु चट्टानी क्षेत्र तथा दुर्गम पहाड़ियों पर जाने का कोई संसाधन न होने से भी आग को नियंत्रित करने मैं समस्या आ रही हैं । लेकिन आग फिर भी काफी हद तक बुझा दी गई है, पर्यावरण की रक्षा के लिए जनता को भी जागरूक करने की जरूरत है
जिसके लिए विभाग के कर्मचारी निरंतर प्रयासरत तथा है गांव- गांव जाकर संपर्क कर रहे हैं

लोकेशन – पिथौरागढ़
रिपोर्ट  नरेन्द्र रावल

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