दुबई के “बजरंगी भाईजान” गिरीश पंत जी सच्ची मानवता का चेहरा

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कभी-कभी जीवन में ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिनका परिचय उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्मों से होता है। और ऐसे ही व्यक्तित्व हैं मेरे मित्र गिरीश पंत जी, जिन्हें आज संपूर्ण विश्व में सम्मान से दुबई का “बजरंगी भाईजान” कहा जाता है।

उनके बारे में लिखते हुए शब्द कम पड़ जाते हैं, क्योंकि उनके व्यक्तित्व की गहराई किसी लेख, किसी भाषण या किसी पुरस्कार में पूरी तरह समाहित ही नहीं हो सकती। उनका व्यवहार विनम्र, स्वर मधुर, और हृदय इतना विशाल कि उसमें देश, समाज और मानवता के लिए असीम स्थान है।

मानवता के मार्ग पर निरंतर चलते कदम

ये सब शब्द तो उनके समर्पण के विराट पर्वत की केवल एक छोटी सी कड़ी है। जितना उन्हें जानने का अवसर मिलता है, उतना ही उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान मन में और गहरा होता जाता है।

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 प्रवासी भारतीयों के संरक्षक

गल्फ देशों में रहने वाले हजारों भारतीय नागरिकों के लिए गिरीश पंत जी एक नाम ही नहीं, सहारा हैं।
कानूनी उलझनों से लेकर एम्बेसी प्रक्रियाओं तक जहाँ सामान्य व्यक्ति असहाय हो जाता है, वहाँ पंत जी सृजन बनकर खड़े होते हैं। वे न कोई सरकारी अधिकारी हैं, न कोई राजनीतिक पदाधिकारी लेकिन फिर भी हजारों की आवाज़ बने।

सी-फेयरर्स (नाविकों) के अनसुने नायक

समुद्र में फँसे या संकट में आए भारतीय नाविकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका अमूल्य है।
कई परिवारों के आंसुओं को मुस्कानों में बदलने के पीछे, अक्सर पंत जी के मौन परिश्रम की कहानी छिपी होती है।

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 युद्धकाल में मानवता का हाथ  यूक्रेन संकट में महान भूमिका

जब यूक्रेन-रूस युद्ध में हजारों भारतीय छात्र भय और अनिश्चितता से घिरे हुए थे, तब पंत जी ने दूरी और सीमाओं से परे जाकर सहायता, समन्वय और मार्गदर्शन किया। यह केवल सेवा नहीं थी यह एक राष्ट्रभक्त की जागृत चेतना थी।

 

कर्तव्य बिना प्रचार, सेवा बिना स्वार्थ

उनकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि उन्होंने कभी अपने कार्यों का ढोल नहीं पीटा।जहाँ आज दिखावे का युग है, गिरीश पंत जी ने हमेशा गिरीश पंत जी उसी श्रेणी में आते हैं।
वे पद से नहीं मानवता, संस्कार और समर्पण से बड़े हैं।
मौन में सेवा की, और यही मौन उन्हें महान बनाता है।

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 सम्मान शब्दों में नहीं, भावों में है

उनके कार्यों को देखते हुए सहज ही मन में उठता है—

“कुछ लोग सत्ता के बल पर बड़े दिखते हैं,
लेकिन कुछ लोग सेवा के बल पर महान बन जाते हैं।”

गिरीश पंत जी उसी श्रेणी में आते हैं।
वे पद से नहीं मानवता, संस्कार और समर्पण से बड़े हैं।उन जैसे लोगों के कारण ही दुनिया आज भी आशा से भरी है, विश्वास से चलती है, और मानवता जीवित है।

उनकी इस निरंतर सेवा को प्रणाम।

 ईश्वर उन्हें दीर्घायु, ऊर्जा और करुणा से भरी शक्ति देते रहें।
क्योंकि गिरीश पंत जी केवल एक व्यक्ति नहीं—एक प्रेरणा हैं।

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