व्यक्ति के जीवन में सूर्य और शनि दोनों का अपना-अपना महत्व है। शनि किसी की कुंडली में अच्छे हो तो वह व्यक्ति रंक से राजा भी बन जाता है, लेकिन जब शनि खराब हो तो राजा भी रंक हो जाता है।
लाल किताब के अनुसार शनि की आपकी कुंडली में स्थिति और सूर्य की रोशनी का आपके भाग्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है।आपकी कुंडली में शनि की क्या स्थिति है यह भी लाल किताब का वास्तु बता देता है। आपको शनि यदि बेहतर रखना हो तो आपको अपने घर पर आने वाली सूर्य की रोशनी (धूप) का भी ध्यान रखना बहुत जरुरी है। सूर्य की रोशनी किसी दिशा से आ रही है, घर के वास्तु में यह बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख के जरिए मैं यह बताने का प्रयास कर रहा हूं कि शनि को मजबूत रखने के लिए घर पर आने वाली सूर्य की रोशनी किस दिशा से नहीं आए ताकि शनि आपको बेहतर और अच्छे परिणाम देते रहें।
यदि शनि लग्न में बैठें हैं, यानि कुंडली के पहले घर में शनि विराजमान हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि आपके घर पर पूर्व की दिशा से सीधी धूप नहीं आए। वहीं यदि कुंडली में यदि शनि दूसरे घर में बैठें हैं तो आपके घर पर पश्चिम-उत्तर दिशा से धूप नहीं आना चाहिए।
इसी तरह यदि आपकी कुंडली में शनि महाराज तीसरे घर में विराजे हुए हैं तो ध्यान रखे कि आपके घर पर दक्षिण दिशा से सीधी धूप नहीं आना चाहिए। चौथे घर में शनि के होने पर पश्चिम-उत्तर की तरफ से धूप घर पर नहीं आना चाहिए। शनि यदि किसी की कुंडली में पांचवे घर में हो तो पूर्व की दिशा से धूप घर पर नहीं आना चाहिए।
इसी तरह शनि यदि छठवें घर में हो तो उत्तर की तरफ से मकान पर धूप नहीं आना चाहिए। शनि सातवें घर में हो तो दक्षिण-पश्चिम से धूप आना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे शनि अपना अच्छा प्रभाव नहीं दे पाते हैं। शनि यदि आठवें घर में हैं तो दक्षिण की ओर से मकान पर धूप नहीं आना चाहिए। शनि यदि नवम भाव में हो तो घर के मध्य हिस्से में धूप नहीं आना चाहिए। शनि यदि दसवें घर में हैं तो पश्चिम की ओर से घर पर धूप नहीं आना चाहिए। शनि यदि ग्यारहवें भाव में हो तो भी पश्चिम दिशा से धूप घर पर नहीं आना चाहिए। इसी तरह यदि शनि बारहवें घर में हो तो आपके घर में धूप दक्षिण-पूर्व तरफ से नहीं आना चाहिए।
(अतुल अग्रवाल-विनायक फीचर्स)
(लेखक लाल किताब के विशेषज्ञ हैं।मोबाइल- 8777520545)
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