पंतनगर। रिम्पी बिष्ट।। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कृषि संचार विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र, काशीपुर के संयुक्त तत्वावधान में ब्लॉक खटीमा, ग्राम रतनपुर में “जैविक गुड़, गन्ना, मिलेट, सेवई, पास्ता, गुझिया, शहद और उनके विपणन के माध्यम से जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाना” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें डॉ. ए. एस. जीना, अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, डॉ. अर्पिता शर्मा कांडपाल, परियोजना अन्वेषक एवं सहायक प्राध्यापिका, कृषि संचार, डॉ. प्रतिभा सिंह, संयुक्त निदेशक, सामुदायिक विज्ञान, केवीके, काशीपुर, श्रीमती बिंदुवासिनी, परियोजना निदेशक, सोशल डेवलपमेंट संस्थान, एवं श्रीमती एकता मिश्रा उपस्थित रहे।
प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को गुझिया, पास्ता, मंडुआ (फिंगर मिलेट) बिस्कुट, लापसी, केक एवं अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही, मूल्यवर्धित उत्पादों के माध्यम से आय वृद्धि और विपणन की रणनीतियों पर जानकारी साझा की गई।
डॉ. ए. एस. जीना ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कौशल विकास और मूल्यवर्धन न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाएगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी सहायता करेगा। डॉ. प्रतिभा सिंह ने बताया कि आधुनिक कृषि अर्थव्यवस्था में प्रसंस्करण और ब्रांडिंग के माध्यम से कृषि उत्पादों की लाभप्रदता में वृद्धि की जा सकती है।
सोशल डेवलपमेंट संस्थान की परियोजना निदेशक, श्रीमती बिंदुवासिनी ने जैविक उत्पादों के विपणन, ब्रांडिंग और बाजार विस्तार की रणनीतियों पर व्याख्यान दिया। एक्सपर्ट श्रीमती एकता मिश्रा ने गुझिया, पास्ता, वर्मिसेली, मंडुआ नमकीन, एवं मंडुआ बिस्कुट के निर्माण का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया, जिससे प्रतिभागियों को मूल्यवर्धित उत्पाद निर्माण की प्रत्यक्ष जानकारी मिली।
परियोजना की प्रमुख अन्वेषक, डॉ. अर्पिता शर्मा कांडपाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से कृषि-आधारित उत्पादों के विपणन पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर बाजार पहुंच बढ़ाई जा सकती है, जिससे महिलाओं की उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जनजातीय महिलाओं को तकनीकी कौशल, उद्यमशीलता की क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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