समाजसेवी जीवन सिंह को भेंट की गयी ” जय मॉ बगलामुखी ” पुस्तक
+ राज्य में बेरोजगार संगठन का विस्तार कर जीवन सिंह ने युवाओं के बीच बनाई अलग पहचान, अनेक बेरोजगारों को दिलाया रोजगार
+ गरीबों व जरूरतमंदों की मदद को रहते हैं तत्पर, कोरोना काल में कमजोर वर्गों तक पहुंचायी हरसम्भव मदद
+ . प्रचार-प्रसार से दूर ईमानदारी व निःस्वार्थ भाव से काम करने में रखते हैं भरोसा
+ सनातन संस्कृति व आध्यात्म के प्रति है अटूट समर्पण
हल्दूचौड़ ( नैनीताल ), बसंत पंचमी के पावन अवसर पर आज यहाँ क्षेत्र के लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी जीवन सिंह को ” जय माँ बगलामुखी ” पुस्तक सप्रेम भेंट की गयी। वरिष्ठ समाज सेवी दीप चन्द्र शर्मा के हाथों पुस्तक को श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हुए समाजसेवी जीवन सिंह ने इस मौके पर अपने आपको परम् सौभाग्यशाली कहा । उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों के प्रचार-प्रसार एवं सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने की आज नितांत आवश्यकता है
समाजसेवी जीवन सिंह ने कहा कि आज के समय में जहाँ ज्यादातर लोग दिन- रात धन संचय के लिए संघर्ष करते हुए देखे जाते हैं और इसके लिए तमाम सही-गलत उपायों के फेर में पड़े रहते हैं, ऐसे में पुस्तक लेखन व प्रकाशन जैसे कार्य अत्यन्त ही चुनौतीपूर्ण है।
उन्होंने कहा वर्तमान में देवभूमि उत्तराखण्ड के प्राचीन व पौराणिक धर्म स्थलों, देवालयों तथा तीर्थों से देश-दुनियां परिचित हो सके ऐसा प्रयास सतत् जारी रहना चाहिए इससे देवभूमि में तीर्थाटन व धार्मिक पर्यटन को काफी अधिक बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि धार्मिक पर्यटन बढ़ने का सीधा लाभ उत्तराखण्ड की आर्थिकी को प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म, संस्कृति व तीर्थाटन के लिए सेवा भाव से काम करने वाले लोगों को यदि राज्य सरकार कोई ठोस प्रोत्साहन परक योजनाएं अमल में ला पाती तो देवभूमि के प्राचीन धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक गौरव से जहाँ देश-दुनिया को परिचित कराया जा सकेगा वहीं ऐसी योजनाओं से पहाड़ में रोजगार के भी नये-नये अवसर बन सकेंगे ।
जीवन सिंह ने कहा कि दस महाविद्याओं में आठवीं प्रमुख महाविद्या बगलामुखी देवी की अलौकिक महिमा और माता बगलामुखी से जुड़े धार्मिक स्थलों के बारे में जानकर वह वास्तव में अभिभूत है।
बताते चलें कि जीवन सिंह क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यावसायी एवं लोकप्रिय समाजसेवी हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड में शिक्षित बेरोजगारों के दर्द को समझते हुए कई वर्ष पूर्व इस दिशा में कुछ प्रयास किये जाने की जरूरत महसूस की और राज्य स्तर पर एक बेरोजगार संगठन बनाये जाने की रूपरेखा तैयार की । समाज के बारे में चिन्ता करने वाले ऐसे कुछ लोगों का सहयोग प्राप्त कर अन्ततः उन्होंने उत्तराखण्ड बेरोजगार संगठन का गठन कराने में सफलता प्राप्त की । फिर क्या था, राज्यभर के बेरोजगारो के लिए संघर्ष का एक अनूठा अभियान शुरू हो गया, जिसके सुखद परिणाम भी समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं।
मूलरूप से पिथौरागढ़ जनपद निवासी जीवन सिंह ने लगातार बेरोजगारों के हक में संघर्ष करते हुए देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी, रामनगर, नैनीताल व अल्मोड़ा समेत राज्यभर के युवाओं के बीच में अपनी एक अलग पहचान बनाई। राज्यभर में अनेक बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में सफलता प्राप्त की।
अनेकानेक विपरीत हालातों के बावजूद वह युवाओं के लिए संघर्ष करते रहे और आज भी लगातार प्रयासरत रहते हैं।
समाज के बीच गरीबों व जरूरतमंदों की मदद के लिए समाजसेवी जीवन सिंह सदैव तत्पर रहते आये हैं। कोरोना काल में तो उन्होंने अपने काम व व्यवसाय की चिन्ता छोड़कर कमजोर तबकों को हर सम्भव मदद व राहत पहुंचाकर बहुत ही सराहनीय कार्य सम्पादित किये।
आमतौर पर प्रचार-प्रसार से दूर रहने वाले जीवन सिंह निःस्वार्थ भाव से लोगों के लिए कार्य करते रहने में विश्वास रखते हैं। इसीलिए युवाओं तथा आमलोगो के बीच उनकी ईमानदार व कर्मठ व्यक्तित्व वाले समाजसेवी की छवि रही है।
जीवन सिंह का सनातन संस्कृति के प्रति अटूट श्रद्धा रही है। धर्म व आध्यात्म के प्रति समर्पण का ही परिणाम है कि वह धर्म- संस्कृति व आध्यात्म से जुड़े किसी भी छोटे-बड़े कार्यक्रमों एवं आयोजनों में अपना हर सम्भव योगदान करते आ रहे हैं।/ मदन मधुुुकर
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