उज्जैन/अवंतिका नगरी 26 नवंबर 2025
महाकालेश्वर और तंत्र–शक्ति परंपरा की भूमि उज्जैन में हाल ही में हुए धर्म–अध्ययन और ऐतिहासिक शोध में एक रोचक तथ्य सामने आया है। विद्वानों और अध्येताओं के अनुसार माँ अवंतिका (उज्जैन की अधिष्ठात्री शक्ति) और भगवान हनुमान जी का संबंध केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और तंत्र साधना की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
शोधकर्ताओं का मत है कि उज्जैन में माँ अवंतिका जिस रूप में शक्ति, सिद्धि और तंत्र की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, उसी भूमि में श्री हनुमान शिव के रुद्रस्वरूप और क्षेत्रपाल के रूप में पूजित होते हैं।
धर्मविदों की मान्यता है—
> “जहाँ शक्ति का केंद्र होता है, वहाँ हनुमान शक्ति के रक्षक और प्राणशक्ति के रूप में स्वयं प्रकट होते हैं।”
उज्जैन में हनुमान उपासना के कई स्वरूप जैसे भैरव-सहचर हनुमान, तंत्रसिद्ध हनुमान और ऊर्जा स्वरूप हनुमान — इसी परंपरा को प्रमाणित करते हैं।
शोध के अनुसार स्कन्द पुराण और अवंतिकाक्षेत्र महात्म्य में वर्णित है कि यह क्षेत्र केवल भक्ति का नहीं, बल्कि प्राणशक्ति और तंत्रमार्ग की जागृति का प्राचीन केंद्र रहा है। इसी परंपरा के कारण आज भी उज्जैन में शक्ति और हनुमान साधना एक-दूसरे की पूरक मानी जाती है।
विशेषज्ञों ने निष्कर्ष दिया कि:
“माँ अवंतिका साधना को सिद्धि प्रदान करती हैं,
और हनुमान जी उस साधना की रक्षा और ऊर्जा संवर्धन करते हैं।”
इस शोध के सामने आने के बाद कई अध्यात्म विद्वानों ने माना कि यह विषय भविष्य में तंत्र, योग, शक्ति उपासना और रामभक्ति के संयुक्त अध्ययन का प्रमुख आधार बन सकता है।
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