लालकुआँ की पावन वसुंधरा में एक ऐसा नाम सदैव आदरपूर्वक लिया जाता है, जिसने न केवल सनातन धर्म के आदर्शों को अपने जीवन में जिया, बल्कि पूरी शक्ति परंपरा के पुनर्जागरण में अग्रणी भूमिका निभाई। यह नाम है — स्वर्गीय श्री मदन नारायण पंत जी का । मूल रूप से जनपद पिथौरागढ़ के पभ्या गाँव निवासी पंत जी का आध्यात्मिक व्यक्तित्व जितना सरल था, उतना ही विराट भी। उनके जीवन का हर क्षण केवल एक ही भाव से सिंचित रहा : माँ भगवती की निष्कलुष भक्ति और अविचल निष्ठा।
माँ भगवती की कृपा से मिला दिव्य आदेश
परिजनों के अनुसार स्वर्गीय मदन नारायण पंत शक्ति के परम उपासक थे। माँ भगवती के प्रति उनकी अनन्य भक्ति ऐसी कि माता स्वयं भी उन पर विशेष अनुग्रह रखती थीं। कहा जाता है कि वर्षों पूर्व, जब लालकुआँ क्षेत्र आज की तरह विकसित नहीं था, तब माँ भगवती ने स्वप्न में प्रकट होकर पंत जी को यहाँ शक्ति पीठ स्थापित करने का दिव्य आदेश दिया।
स्वप्न के इस संकेत को उन्होंने केवल दिव्य अनुभूति नहीं माना, बल्कि उसे जीवन का उद्देश्य बना लिया।
लालकुआँ में शक्ति धाम की पहली नींव पंत जी का अमर योगदान
जिस स्थान पर आज भव्य माँ अवंतिका मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दिव्य आस्था का केंद्र बना है, उस भूमि पर शक्ति पहले से विद्यमान अवश्य थी, परंतु उनके वैभव का व्यापक प्रसार पंत जी से ही प्रारंभ हुआ।
स्वर्गीय गोयल के सहयोग से सबसे पहले स्वयं स्वर्गीय मदन नारायण पंत जी ने ही माँ अवंतिका मंदिर का प्रारंभिक निर्माण करवाया, और इस भूमि को पुनः आध्यात्मिक चेतना से ओतप्रोत किया।
यह वही बीज था, जिसने आगे चलकर आज एक विशाल और भव्य आध्यात्मिक स्वरूप ले लिया है।
धर्म स्थापना की विरासत में दूसरी कड़ी
स्वर्गीय गुमान सिंह रजवार ने इस आध्यात्मिक धारा को आगे बढ़ाते हुए यहाँ न्याय की देवी कोटगाड़ी अर्थात् माता कोकिला देवी की स्थापना भी की।
समय के साथ इस पवित्र धरा से जुड़े और भी संत स्वभावी व्यक्तित्व सामने आए। स्वर्गीय पी.एल. गुप्ता ने क्षेत्र की सुन्दरता और विकास में अमूल्य योगदान दिया। और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया
लेकिन फिर भी माना जाता है कि मदन नारायण पंत जी ही वे प्रथम पुरुष थे, जिन्हें शक्ति ने स्वयं संकेत देकर इस भूमि की दिव्यता को पुनः जागृत करने का आदेश दिया।
आधुनिक स्वरूप में महिमा मंडन पूरन सिंह रजवार का योगदान
वर्तमान समय में मंदिर समिति के अध्यक्ष पूरन सिंह रजवार इस आध्यात्मिक धरोहर के संरक्षण और विस्तार कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। उनके प्रयासों से मंदिर परिसर न सिर्फ भव्यता प्राप्त कर रहा है, बल्कि माँ अवंतिका की महिमा देश-विदेश तक पहुंच रही है।
एक युगपुरुष की स्मृति हमेशा रहेगी अमर
स्वर्गीय मदन नारायण पंत का जीवन सादगी, श्रद्धा और तपस्या का समन्वय था। उनका पूरा व्यक्तित्व इस बात का प्रमाण था कि जब व्यक्ति की भक्ति निर्मल और निष्काम होती है, तो देवत्व स्वयं उसके मार्गदर्शन के लिए प्रकट होता है।
लालकुआँ की इस भूमि को आध्यात्मिक पहचान दिलाने वाले पंत जी का योगदान हमेशा इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा।
माँ भगवती के इस अनन्य उपासक ने जिस मार्ग की शुरुआत की, वह आज हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का दीप बनकर निरंतर प्रकाश फैलाता रहेगा।
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