मधुर यादें महका गया आध्यात्म के रंग में रगां माँ भद्रकाली दरबार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा

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माँ भद्रकाली दरबार में व डाoयोगेश प्रसाद जोशी की सुधामय वाणी की धार से आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ को दिया विराम
श्रीकृष्ण की लीलाओं की कथाओं के साथ आत्मज्ञान की चर्चा को सुनकर आनन्द से झूम उठे श्रद्वालु श्रीमद् भागवतकथा पारायण के अवसर पर मंदिर परिसर में हुआ विशाल भंडारा
डा० योगेश जोशी नवल ने निर्मल मन को बताया परमात्मा के मिलन का सुगम पथ
मधुर यादें महका गया आध्यात्म के रंग में रगां माँ भद्रकाली दरबार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा
भागवत भगवान का हृदय: श्री गिरीश जोशी
भद्रकाली/ बागेश्वर
जनपद बागेश्वर के कमस्यार घाटी में स्थित माँ भद्रकाली मंदिर प्रांगण मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का हवन, यज्ञ व भण्ड़ारे के साथ भव्य रुप से समापन हुआ। कथा के सफल आयोजन के लिए लोक मंगल की कामना को लेकर समस्त क्षेत्रवासियों ने कथा आयोजन में सार्थक भूमिका अदा करने वाले प० गिरीश चन्द्र जोशी व व्यास कथावाचक ब्यास श्री योगेश प्रसाद जोशी नवल जी का धन्यवाद अदा किया।
प्रसिद्व कथावाचक श्री जोशी ने कहा आध्यात्मिक विचार धारा से ही दुनियां विनाश से बच सकती है। आत्मा जब परमात्मा को जानकर उसने अभेद हो जाती है उसी का नाम मुक्ति है। कथा का पारायण करते हुए व्यास जी ने कहा हरि अनंत हरि कथा अनन्ता लोक कल्याणकारी ,परमार्थिक कार्य की कभी समाप्ति नही होती वे सदैव चलते है पर मर्यादा के हिसाब से समय पर हर कार्य पूर्णता को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा हर वस्तु की प्राप्ति के साथ वियोग का संयोग भी निश्चत है। हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। क्योंकि मनुष्य जीवन का लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। जहां आनंद है वही परमानंद है आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है

लम्बकेश्वर से प्रधारे श्री चन्द्रशेखर कोठारी ने श्रीमद् भागवत कथा के अन्तिम दिवस श्रद्वालुओं के आपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री प्रभु का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, इसलिए सत्य के समान कोई धर्म नहीं है मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा। भक्ति की ज्योति माँ भद्रकाली की कृपा से ही प्राप्त हो सकती है
डाo योगेश प्रसाद जोशी नवल ने अंतिम दिन सूकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो के द्वारा परमात्मा की लीलाओं को अनन्त बताया उन्होनें अंतिम दिन की कथा मे अपने सुधामयवाणी की धार से भक्त सुदामा की भक्ति एंव सखा धर्म का महत्व पर प्रकाश डाला एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही के साथ मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को बहुत ही सुन्दर ढ़ग से वर्णन किया। कथा के दौरान भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से पांडाल मे उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर तालियां बजाते रहे
इस अवसर पर

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इस अवसर पर माँ के भक्त गिरीश जोशी लम्बकेश्वर महादेव के उपासक चन्द्र शेखर कोठारी संतोष काण्डपाल हर्षित जोशी राजेन्द्र सिंह भण्डारी जगदीश चंदोला ( जर्नादन चंदोला) ठाकुर सिंह धपोला अनिल बिष्ट बिक्रम नेगी नरेन्द्र मेहरा मोहन सिंह बिष्ट खड़क सिंह धामी भुवन बचखेती गोपाल दत्त जोशी सुरेश रावत प्रदीप जोशी गिरीश चन्द्र जोशी पूरन चन्द्र जोशी महेश चन्द्र जोशी मनोज जोशी शेखर चन्द्र जोशी महेश राठौर आनन्द बल्लभ जोशी नन्दा बल्लभ जोशी प्रदीप जोशी जय किशन जोशी विनोद जोशी रेखा चन्दोला अम्बिका जोशी नीमा जोशी गीता जोशी कमला जोशी रमा जोशी सहित अनेकों मौजूद रहे/// रमाकान्त पन्त///

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