महातीर्थ प्रयागराज की धरती पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर पौराणिक काल से शिव भक्तों की पावन आस्था का केन्द्र है दूर- दराज क्षेत्रों से भारी संख्या में भक्तजन यहाँ दर्शनों को आते है श्रावण माह हो या नाग पंचमी या अन्य कोई पर्व हर पर्व पर भक्तों का यहाँ विशाल तांता लगा रहता है मान्यता है कि इस मंदिर में पहुंचकर श्रद्धालु भगवान शिव से सच्चे मन से जो भी मांगते है उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है यही कारण है कि यहाँ भक्तों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है खासतौर से शिवरात्रि के अवसर पर तो यहाँ का आध्यात्मिक वातावरण बड़ा ही मनोरम रहता है हर हर महादेव के जयकारों से समूचा क्षेत्र गूंजायमान रहता है
जनश्रुति के अनुसार भगवान श्री राम ने माता सीता सहित यहां पर शंकर जी का पूजन किया था इसलिए हर के साथ- साथ हरि भक्तों की भी मनकामेश्वर महादेव जी के प्रति अगाध श्रद्धा है
प्रयागराज की पावन भूमि पर महादेव को समर्पित यह शिव मंदिर यमुना नदी के तट पर सरस्वती घाट के समीप है यहाँ सिद्वेश्वर व ऋणमुक्तेश्वर महादेव भी विराजमान है अभीष्ट कार्यो की सिद्धि के लिए भक्तजन सिद्वेश्वर महादेव का पूजन करते है घोर संकट व कर्ज में डूबे लोगों के लिए श्रृणमुक्तेश्वर का पूजन परम कल्याणकारी बताया जाता है मंदिर परिसर में हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति भी आस्था व भक्ति का संगम कही जाती है यह मूर्ति दक्षिण मुखी है जिसके दर्शन से प्रेत बाधा से छुटकारा प्राप्त होता है मान्यता है कि हनुमान जी यहां सदा जागृत रूप में विराजमान है इनके दर्शन से समस्त पापों का शमन होता है मनकामेश्वर सिद्धेश्वर व ऋण मुक्तेश्वर में जलाभिषेक का विशेष महत्व है खास पर्वो पर जलाभिषेक के लिए भक्तों की बहुत ही लम्बी कतार लगी रहती है
जिला प्रयागराज के बारा विधानसभा के लालापुर क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के इस शिवालय की पौराणिक महत्ता बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है महाकुम्भ में आने वाले श्रद्वालुजन भी काफी संख्या में इन दिनों महादेव के दर्शनों हेतु यहाँ पधार रहे है
देवोंके आदिदेव मनकामेश्वर को नमस्कार है। महादेव ! आपको नमस्कार है। श्रेष्ठ त्रिशूल धारण करनेवाले त्र्यम्बक ! आपको नमस्कार है। दिगम्बर, (स्वेच्छासे) विकृत (रूप धारण करनेवाले) तथा पिनाकी आपको नमस्कार है। समस्त प्रणतजनोंके आश्रय तथा स्वयं निराश्रय (निरधिष्ठान देव) को नमस्कार है। अन्त करनेवाले (यम) का भी अन्त करनेवाले और सबका संहार करनेवाले आपको नमस्कार है। नृत्यपरायण और भैरवरूप आपको नमस्कार है। नर-नारी शरीरवाले (अर्धनारीश्वर) एवं योगियोंके गुरु आपको नमस्कार है। दान्त, शान्त, तापस (विरक्त) तथा हरको नमस्कार है। अत्यन्त भीषण, चर्माम्बरधारी रुद्रको नमस्कार है। अघोर तथा घोर रूपवाले वामदेवको नमस्कार है। धतूरेकी माला धारण करनेवाले और देवीके प्रियकर्ताको नमस्कार है। गङ्गाजलकी धाराको धारण करनेवाले परमेष्ठी शम्भुको मनकामेश्वर को नमस्कार है।
पुराणों में कहा गया है अनेक दोषों से दूषित कलयुग का यह महान् गुण है इस युग में मनुष्य महादेव की भक्ति से अनायास ही महान् पुण्य प्राप्त कर लेता है सभी प्रकार के प्रयत्नों से रुद्र की शरण ग्रहण करनी चाहिए जो प्रसन्न मन से विरुपाक्ष महादेव का वंदन करते है वे परम पद को प्राप्त करते है कलियुग के दोषों को दूर करनें का एकमात्र उपाय है महादेव की शरणागत होना
@ रमाकान्त पन्त



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