मजबूर नहीं मजबूत बन रही हैं मध्यप्रदेश की महिलाएं

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मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां शासकीय सेवाओं में महिलाओं के आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। साथ ही पंचायत एवं नगरीय निकाय निर्वाचन में भी 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई है। अपना खुद का उद्योग चला रही महिलाओं को राज्य सरकार 2 प्रतिशत दर से ऋण भी उपलब्ध करा रही है। आजीविका मिशन के माध्यम से 40 लाख से अधिक महिलाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा गया है। राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए कई नई योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं के चलते ही मध्यप्रदेश में महिलाएं अब मजबूर नहीं बल्कि मजबूत होकर उभर रही हैं।
महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कई प्रयास किए हैं। उन प्रयासों की सफलता दिखने भी लगी है। महिलाओं को मजबूर से मजबूत बनाने का अभियान आज उनके सशक्त और आत्मनिर्भर बनने की कहानी उनकी जुबानी कह रहा है। देश के कई राज्यों ने महिला सशक्तिकरण को लेकर मध्यप्रदेश द्वारा उठाए गए कदमों को सराहा है और अपने राज्यों में लागू भी किया है। लाड़ली बहना योजना के माध्यम से राज्य की लगभग एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को मासिक 1250 रुपए की राशि सीधे उनके खाते में भेजी जा रही है। महिला सशक्तिकरण की इस अनूठी पहल का अन्य राज्यों ने भी अनुसरण किया है। महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों ने लाड़ली बहना योजना को अपनाया है। मध्यप्रदेश की पहचान 20 वर्ष पहले तक एक कुपोषित राज्य के रूप में हुआ करती थी। अब यह बीते जमाने की बात हो गई है। मध्यप्रदेश ने कुपोषण के विरुद्ध लंबी और चरणबद्ध लड़ाई लड़ते हुए सफलता प्राप्त की है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के तुलनात्मक आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य सरकार ने कुपोषण से संघर्ष किया और सफलताएं अर्जित की। वर्ष 2005-06 की बात करें तो उन दिनों 603 बच्चे अपनी उम्र के अनुसार अनुमानित वजन से कम वजन के होते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह अंतर घटकर 333 हो गया है। राज्य सरकार ने गर्भस्थ महिलाओं और शिशुओं की सुरक्षा के लिए भी वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन, रखरखाव एवं संचालन मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को पूर्ण आंगनबाड़ी केन्द्र के रूप में उन्नयन किए जाने का निर्णय लिया है। इसके लिये पर्यवक्षकों के 476 और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के 12 हजार 670 पदों सहित कुल 13 हजार 146 नवीन पद स्वीकृत किए गए है। अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के अंतर्गत राज्य सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में मंगल दिवस मनाए जाते हैं। मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम में एम्स के सहयोग से गंभीर कुपोषित बच्चों की देखभाल की जा रही है। प्रदेश में 73.40 लाख हितग्राही महिलाएं आधार से पंजीकृत हैं। राज्य में लिंगानुपात 927 से बढ़कर 956 हो गया है। बाल विवाह के मामलों में भी काफी कमी आई है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल और कॉलेज के लिए स्कूटी दी जा रही है । कक्षा 12वीं के बाद स्नातक अथवा व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने पर मध्यप्रदेश की छात्राओं को राज्य सरकार 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दे रही है।
आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह के संकट में महिलाओं, युवतियों और बच्चियों की सहायता के लिए राज्य के सभी 57 जिलों में वन स्टॉप केंद्र और 181 हेल्पलाइन नंबर भी कार्यरत है।
मध्यप्रदेश में महिलाओं को सफल, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण को लेकर राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश को योजना प्रारंभ से वर्ष 2022-23 तक लगातार 5 साल राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार ने महिला अपराधों को रोकने तथा उसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शौर्य दल बनाए गए हैं, जिसमें 22 लाख महिला एवं बालिकाएं सदस्य बनाई गई है।
मध्यप्रदेश सरकार के ये निर्णय निसंदेह महिलाओं के अनुकूल हैं और आने वाले समय में देश के अन्य राज्य भी इनका अनुसरण करेगें और आगे चलकर इन योजनाओं से न केवल मध्यप्रदेश बल्कि संपूर्ण देश की महिलाएं सशक्त एवं मजबूत होकर उभरेंगी।

(अंजनी सक्सेना-विभूति फीचर्स)

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