राप्ती नदी के तट पर नवमीं की रात्रि को हुआ माँ बगलामुखी का महायज्ञ, सत्य साधक गुरुजी ने बताई यह गूढ़ बात

ख़बर शेयर करें

 

श्रावस्ती /राप्ती नदी के तट पर गुप्त नवरात्री की नवमी की रात्रि को सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी ने राष्ट्र की सुख समृद्धि व मंगल कामना को लेकर यज्ञ किया इस अवसर पर उनके साथ उनके कुछ शिष्य भी मौजूद रहे

इस अवसर पर उन्होंने कहा गुप्त नवरात्रि में माँ बगलामुखी की पूजा या साधना करना परम कल्याण कारी होता है लोक मंगल के उद्देश्य को सामने रखकर ही इनकी साधना करनी चाहिए श्री पाण्डेय ने बताया अपने जीवन की समस्याओं की मुक्ति के लिए भी इनकी आराधना सर्वोत्तम है शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, कोर्ट कचहरी में जीतने, वाणी को प्रभावशाली बनाने और बच्चों व परिवार की रक्षा के लिए माता की पूजा और साधना उत्तम मार्ग है उन्होंने कहा 10 महाविद्याओं में से एक 8 वीं महाविद्या ही माँ बगलामुखी है। बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र को माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। इसी कारण माता को पीतांबरी माता कहते हैं। इनका अति प्राचीन स्थल उत्तराखण्ड के घनसाली घुत्तू जो टिहरी गढ़वाल में पड़ता है वहां है मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला होता है इनकी आराधना करने से साधक को विजय श्री की प्राप्ति होती है।
श्री गुरुजी ने बताया माँ पीताम्बरी की साधना युद्ध में विजय होने और शत्रुओं के नाश के लिए भी की जाती है। अन्दर के व बाहर के सभी शत्रुओं का यह नाश कर देती है इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति मिलती है।

Ad