दतिया/ माँ पीताम्बरी के परम आस्थावान भक्त एवं मथुरा के प्रसिद्ध व्यवसायी रामस्वरूप शर्मा ने दतिया के हनुमान गढ़ी में पहुंचकर 36 दिवसीय साधना में सलग्न सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे जी से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया साथ ही सात नवम्बर को आयोजित विराट माँ बगलामुखी यज्ञ की तैयारियों की समीक्षा की
यहाँ यह बताते चलें की श्री शर्मा की माँ पीताम्बरी के चरणों में गहरी आस्था है यहाँ आयोजित हवन में उनका विशेष सहयोग है सरल स्वभाव के धनी श्री शर्मा माँ पीताम्बरी के महायज्ञ में सदैव अपनी सजग भागीदारी अदा करते आये है और दतिया हवन में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रहेगी
अपनी आस्था व्यक्त करते हुए श्री शर्मा ने कहा बगलामुखी देवी की शरणागति भक्तों को सहारा व साहस प्रदान करती है तथा सभी प्रकार के संशयों, दुविधाओं एवं खतरों से निर्भय कर देती है। मनुष्य को तभी शान्ति की अनुभूति होती है, जब वह अपनी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की यह परम् अभिलाषा होती है कि उसे सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा तथा शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त हो। शास्त्रकारों ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए, विजय श्री का वरण करने के लिए तथा अपने प्रभाव व पराक्रम में बृद्धि करने के लिए भगवती बगलामुखी देवी की साधना को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया है।
श्री शर्मा ने कहा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, कि सभी दश महाविद्याओं की सिद्धि के परिणाम अत्यधिक सुखद एवं चमत्कारिक होते हैं। यद्यपि साधना विधि जटिल है और इसीलिए साधारण साधक इस साधना में रुचि नहीं लेते, इसीलिए दुर्लभ एवं चमत्कारिक लाभों से सर्वथा वंचित रहते हैं। अनेकानेक जटिलताओं के बावजूद जो साधक भगवती बगलामुखी की साधना सम्पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से करते हैं, वे स्वयम् तो लाभान्वित होते ही हैं,दूसरों को भी लाभ पहुंचाते हैं।
श्री शर्मा ने कहा प्राचीन वैदिक संहिताओं तथा धर्म ग्रन्थों में महाविद्या बगलामुखी देवी के स्वरूप, शक्ति व लीलाओं का अत्यन्त विषद वर्णन मिलता है। उपनिषदों में जिसे ब्रह्म कहा गया है, उसे भी इस शक्ति से अभिन्न माना गया है। यानी ब्रह्म भी शक्ति के साथ संयुक्त होकर ही सृष्टि के समस्त कार्यों को कर पाने में समर्थ हो पाते है। इसीलिए तो शक्ति तत्व की उपासना, वंदना व साधना को मनुष्य मात्र के लिए ही नहीं अपितु देवताओं के लिए भी परम् आवश्यक बताया गया है। इसी शक्ति तत्व में नव दुर्गा तथा सभी दश महाविद्याएं समाहित हैं जो सृष्टि के कल्याण के लिए अनेकानेक लीलाओं का सृजन करती हैं।



लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें