दुर्लभ जानकारी : भगवान शिव के मुख से प्रकट हुआ सर्वप्रथम ‘बदरीवन माहात्म्य माता पार्वती ने सुनी सबसे पहले बद्रीनाथ की महिमां

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तीनों लोकों के स्वामी त्रिभुवनेश्वर श्री हरि विष्णु भगवानकी महिमा अपरम्पार है। ये आदि व अनादि से रहित हैं, जगत के पालनहार के रूप में इनकी स्तुति परम कल्याण को प्रदान करती है। हिमालय की गोद में बसे देवभूमि उत्तराखण्ड में स्थित इनका पावन धाम ‘बद्रीनाथ’ परम पूज्यनीय है। चार धामों में प्रमुख बद्रीनाथ भगवान के स्मरण मात्र से मनुष्य सभी पापों से छुटकारा पा जाता है। फिर दर्शन की तो बात ही क्या है।
स्कंद पुराण के केदारखण्ड में बदरीनाथ महात्म्य में इस तीर्थ की महिमा विस्तृत वर्णन आता है। देवाधिदेव महादेव जी ने सर्वप्रथम श्री हरिनारायण के इस तीर्थस्थल की अलौकिक महिमा का बखान माता पार्वती को सुनाया।
‘बदरीवन माहात्म्य कथयामास पार्वतीम्,
तत्तेरहं सम्प्रवक्ष्यामि पुण्यं पापविनाशम्।
(केदारखण्ड बद्रीनारायण महात्म्य 57/10)
सुनाते हुए कहा कि इस भूतल पर पापनाशक व पुण्यदायक तीर्थों में बदरीवन जैसा स्थान अन्यत्र कहीं भी नहीं है। महर्षि वशिष्ठ ने माता अरुन्धती को बद्रीनारायण की महिमा से अवगत कराते हुए बताया कि जो लोग सच्चे मन से विनयपूर्वक बद्रीनाथ का स्मरण करते हैं वे धन्य हैं। कलयुग में इस स्थान के दर्शन से कोटि यज्ञ फल की प्राप्ति प्राणी को होगी। इस क्षेत्र के तमाम दुर्लभ स्थानों का वर्णन करते हुए महर्षि माता अरून्धती से कहते हैं कि जो बद्रीनाथ की मूर्ति का मन से भी स्मरण करता है वह महाभागी होता है। जिसने वहां पितरों के निमित्त एक बूंद भी जल अर्पित की उसके पितर मुक्ति के अधिकारी हो जाते हैं। मैं बदरिकाश्रम जाउंगा। इस प्रकार जो सतत कहता है वह भी बद्रीनाथ के दर्शन का फल पाता है। घोर कलयुग में मनुष्य को सब प्रकार का यत्न प्रयत्न कर इनकी शरण लेनी चाहिए। काशी, कांची, मथुरा, गया, प्रयाग, अयोध्या, अवन्ति, कुरूक्षेत्र और अन्य तीर्थ भी कलिनाशिनी बदरी के समान नहीं हैं। यह परम पुण्यदायिनी स्थली है। पुराणों में भी यह स्पष्ट है-
प्रयागश्च तथा काण्ची मथुरा न गया तथा,
प्रयागश्च तथा अयोध्या नावन्ती कुरुजांगलम्।
अन्यान्यपि च तीर्थानि यथासौ कलिनाशिनी।
बदरीतरुणा या वै मण्डिता पुण्यगास्थली।।

भगवान बद्रीनाथ की यात्रा कर लौटे शिव भक्त अभिनव सक्सेना ने बताया कि भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन करके उनके जीवन का एक बहुत बड़ा लक्ष्य पूर्ण हुआ है वह कहते हैं भगवान बद्री सभी का मंगल करें

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