सत्संग से होती है विवेक की प्राप्ति: साध्वी प्रचारिका बाई

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बिन्दुखत्ता/आध्यात्म जीवन को सच्ची ऊर्जा प्रदान करता है। तथा निष्काम कर्मयोगी बनने की प्रेरणा भी देता है।

भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण तब तक नही होगा जब तक विवेक नही होगा ओर बिनु सत्संग विवेक न होई मनुष्य का कर्तव्य क्या और अकर्तव्य क्या है ये सब सत्संग से पता चलता है सत्संग की महिमाँ अपरम्पार है
यह उद्‌गार साध्वी प्रचारिका बाई ने यहाँ हंस प्रेम योग आश्रम में व्यक्त किये उन्होनें कहा संसार में कोई सार नहीं है सार तो केवल आत्मा में है आत्मा जब परमात्मा को जानकर अभेद हो जाती है तो जीवन की सार्थकता सफल हो जाती है .

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