शिव प्रिया माँ गंगा को पुकारा जाता है इन नामों से भी

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*🌹💥माँ गंगा की महिमां अपरम्पार है ,शिव जटाओं से निकलकर इस बशुंधरा को कृतार्थ करनें वाली कल- कल धुन में नृत्य करते हुए बहने वाली माँ गंगा का महत्व बड़ा ही निराला है पुराणों में माँ गंगा की निर्मल गाथा अनेक स्वरुपों में गायी गयी है।*

 

*🌹💥इन्ही स्वरुपों में एक है गंगा दशहरा का पावन पर्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा स्नान के लिए यह दिन विशेष महत्व का है। यही वह दिन है जिस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह परमपुण्य दायक पर्व माना जाता है। गंगा दशहरा के दिन शिवालय में किया गया जलाभिषेक महापापों को नष्ट करता है।कहा जाता है, कि गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होकर यशस्वी जीवन को प्राप्त करता है। दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है।*
*समस्त पापों के नाश के लिए, सकल कामनाओं की सिद्धि के लिए और अक्षय स्वर्ग पाने के लिए माँ गंगा की आराधना को सर्वोच्च साधन बताया गया है।

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गंगा नदियों में श्रेष्ठ, विष्णु के चरण-कमल से उत्पन्न, शिवजी के मस्तक पर निवास करनेवाली, ब्रह्मा के कलश में स्थित आकाश में गमन करनेवाली कल्याणमयी,माँ गंगा के अनन्त नाम है, जिनमें प्रमुख रुप से इन्हें प्रवाहयुक्त , घेनु, सकल कामनाओं को देनेवाली, परब्रह्मधारिणी, श्रेष्ठ, द्रव रूपवाली, शिव समागम देनेवाली, मुक्ति देनेवाली, भोग देनेवाली, अनंगस्वरूपा, शत्रु के लिए दावानलस्वरूप ,त्रिमूर्ति ब्रह्माणी, कमला, सरस्वती, सावित्री, जयसेना, जयात्मिका, जयभद्रा, वैष्णवी, चित्शक्ति, परमेवरी, त्रयी, वेदों में वदान्य (सतत दान देने को प्रस्तुत), मेदिनी, मेदिनी को धारण करनेवाली ,वेदमूर्ति, त्रिमूर्ति, देवमूर्ति, दयापरायण, दामिनी, विद्युत् के समान वस्त्रवाली, कुलिशा, वज्रप्रिया ,बज्र के समान अंगोंवाली, कुलांगी, शिव की प्रिया, कुलीना, सुभगा, भाग्या, भाग्य से मिलनेवाली, यशोमती कला, चन्द्रमा धारण करनेवाली, सैकड़ों चन्द्रमा चाहनेवाली, षोडशी, षोडशोपचार से आराधना करने योग्य, छह प्रकार के न्यासों की सहायिका षोढ़ा, निवासवाली, षोढांगी, कालरूपिणी, कालिका, मुण्डमाला-सैकड़ों कालों को विनष्ट करनेवाली ,कालांगी, काल की आश्रय, काली, कालेश्वरी, वरा, शैवी माया, शिवा, रुण्डा, चण्डमुण्ड का नाश करनेवाली प्रचण्ड अट्टहास करनेवाली, दुर्गम्या, चण्डों की प्रीति बढ़ानेवाली, चण्डेश्वरी, महाप्राज्ञा, प्रज्ञा, सिद्धि देनेवाली लक्ष लाभ करानेवाली, शतलाभा, सुरेश्वरी, कौमारी, शक्ति कही जानेवाली, क्रौंच नामक असुर का विनाश करनेवाली ,तारकासुर का वध करनेवाली, शिव की पराशक्ति, शिवपरायण, ज्योत्स्ना, नारायणी, दयासिन्धु, सिन्धु के उत्तर में निवास करनेवाली, नदियों, समुद्रों की श्रेष्ठतम पत्नी, रत्न देनेवाली, रत्न हरण करनेवाली, जलन्धर की माता, जलन्धर को विरूप करनेवाली भीष्ममाता, महाभयंकरी, भयंकरों की प्रीति बढ़ानेवाली ज्वाला, कराली, तुंगेशी, पर्वत पर वास करनेवाली, तुंगेश्वर की सहायिका बदरिकाश्रम में वास करनेवाली श्रीक्षेत्र में आवास करनेवाली, जाह्नवी,पाताल में निवास करनेवाली , नागों की माता, नागों की प्रीति बढ़ानेवाली, नागेश्वर (महादेव) की सहायिका, कैलास पर्वत पर आवासवाली , महाकान्तिवाली, श्रेष्ठा, वेदमाता, विलासिनी, शंकर के संग में रत रहनेवाली, विष्णु के चरण से निकलनेवाली , अदिति (देवमाता), दिति, दैत्यमाता कद्रू (सर्पमाता), विनता (गरुड़माता), सुरसा, अग्निगर्भा, रत्नगर्भा, विभावरी , शारदी, चन्द्रकला, नल-कूबरों से सेवित, अरिष्टनेमि की पुत्री, नहुष के आँगन में वास करनेवाली ,शान्तनु की गृहिणी, भव्या, वसुओं की माता, मध्यभागवाली, मत्स्योदरी, देवों की आराध्या, सुरों को प्रीति देनेवाली यमुना, चन्द्रभागा, शरयू, सरस्वती, शुभामोदा, नन्दनपर्वत पर निवास करनेवाली नन्दप्रयाग में रहनेवाली, देवतीर्थ में रहनेवाली, रुद्राणी, रुद्रसावित्री, महाभयंकर नाद करनेवाली , भैरवी, भृगुपर्वत पर निवास करनेवाली, केदार की चोटी पर निवास करनेवाली, महावलय पर वास करनेवाली, तुंगभद्रा, सुषेणा, मान्धाता को जय देनेवाली, भूत और भावी में निरत, नृपेश्वरी,भविष्य का ज्ञान देने वाली, भूत का ज्ञान देनेवाली, वर्तमान का ज्ञान देनेवाली, शुक्राचार्य की माता, सौम्या, व्यासमाता, सुरेश्वरी ,भारी वृष्टि धारण करनेवाली, धीरा, धैर्यदायिनी, शुभदायिनी, कंकण, कंकण सदृश, शुभकंकण देनेवाली , कंकणों से पातक हरनेवाली, प्रबला, शत्रुनाशिनी, स्मरणकर्ताओं को मुक्ति देनेवाली, मुक्तिरूपा, भोगरूपरहिता,देवमुख्या, देवसेव्या, सेवारूप फल से निर्मल, कृत्तिका, कार्तिक में आवास करनेवाली, कार्तिकस्नान (का फल) देनेवाली ,पुष्करा, पुष्कर क्षेत्र में निवास करनेवाली, मानवाकार धारण करनेवाली ॥मैनाकपर्वत की चोटी पर रहनेवाली, काशीनगरी में निवास करनेवाली, महाप्रयाग में घरवाली, तीर्थराज (प्रयाग) को सजानेवाली , अक्षया, क्षयरूपा, संसार का क्षय करनेवाली, मृगशीर्ष (नक्षत्र) धारण करनेवाली, अगहन में स्नान-फल देनेवाली पुष्यनक्षत्ररूपा, पौष मास में अत्यन्त फल देनेवाली, माघी, मघानक्षत्रयुक्ता, माध्या, माघस्नान में निवास करनेवाली, श्रीपञ्चमी, श्रीरूपा,अचला, पुण्य में वास करनेवाली, फाल्गुनी, फाल्गुन में सेवनीय, होलिका गन्धरूपिणी, सन्तुष्टा, भस्मधारिणी, वसन्तऋतु में सेवनीय, वसन्तोत्सव देनेवाली चैत्री, चित्रा नक्षत्र से प्रीति रखनेवाली, पुष्पसमूहरूपा, गणेश्वरी, मकरन्द स्वरूपा, मकरन्द में निवास करनेवाली चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वर्ष आरम्भ करनेवाली, शुभा, वैशाखी, वैशाख रूप निवासवाली, माधव को प्रीति देनेवाली विशाखा, ज्येष्ठा नक्षत्र रूपा, ज्येष्ठ मास की दशविघपापनाशिनी, (दशहरा), निर्जला (एकादशी) रूपिणी, अनन्तशया आषाढ़ नक्षत्ररूपा सुन्दर सर्वांग वाली, हरिशयनी, श्रवण श्रवणानन्दा, . सबको सुख देनेवाली , भद्रा, आदि नामों से पूज्यनीय है। आप सभी को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं* //// @ रमाकान्त पन्त

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