श्रद्वांजली : कर्म,निष्ठा एंव संघर्ष का अलौकिक संगम थे :स्व० विरेन्द्र गिरी

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बिन्दुखत्ता। बिन्दुखत्ता के इन्द्रानगर द्वितीय निवासी 46 वर्षीय विरेन्द्र गिरी बीते 22 मार्च को इस नश्वर संसार से अकस्मात विदा हो गये ,1 अप्रैल को उनका ग्यारहवी भण्ड़ारा संस्कार है।

उनकी सादगीं,सच्चाई, व संघर्ष से समूचा क्षेत्रं परिचित है। 46 वर्ष तक संसार के रंग में अपने कर्तव्य का कड़े संघर्ष से पालन करते हुए कृषि व्यवसाय उद्यम को जिस निष्ठा के साथ उन्होंने किया वह वास्तव में युवाओं के लिए अनुकरणीय है।

इस मायावी संसार को छोड़कर एक दिन सभी को जाना पड़ता है,दुनियां में सदा रहने के लिए यूं तो कोई नही आता मगर किसी का अकस्मात् जाना लोगों को अचम्भित करता है यादों की महक के ऐसे ही अनमोल धरोहर थे।स्व० विरेन्द्र गिरी जो कर्मनिष्ठ भावनाओं के पावन स्वरुप के रुप में सदा याद आते रहेगें कर्म को ही जीवन की पूजा मानने वाले स्व० गिरी एक कृषक थे आजीवन कड़े संघर्ष के पथ पर चलते हुए उन्होंने कृषि व्यवसाय को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया स्वरोजगार के लिए संघर्ष करते हुए माटी की महक में घुलकर उन्होंनें कृषि व्यवसाय को नयी गति दी अपने कड़े संघर्ष से उन्होंने पाली हाउस के माध्यम से भी साग शब्जी उगाकर स्वरोजगार के लिए भी युवाओं को प्रेरित किया प्रकृत्ति के निकट रहना उन्हें प्रिय था

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खेती बाड़ी व शब्जी व्यवसाय से ही अपने परिवार की आजिविका चलाकर वे संघर्षे के दौर से धीरे- धीरे ऊबर ही रहे थे कि विधि को कुछ और ही मंजूर था और उनका 22 मार्च को आकस्मिक निधन हो गया वे अपने पिछे दो पुत्री व एक पुत्र सहित भरा- पूरा परिवार छोड़ गये, असमय ही उनके चले जाने से परिजन व क्षेत्रवासी शोक से व्याकुल है
स्व० विरेन्द्र गिरी एक मेहनत कश किसान के रूप में जाने जाते थे खेती के माध्यम से व्यवसाय का उन्हें अच्छा अनुभव था जी-तोड़ मेहनत करके जहाँ वे अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे वही नयी तकनीक विकसित कर स्थानीय युवाओं को भी स्वरोजगार के लिए एक शानदार संदेश दे रहे थे
देवभूमि उत्तराखण्ड़ के आंचल जनपद अल्मोड़ा के रौल्याना मठ कौसानी के मूल निवासी स्व० श्रीमती गंगा देवी एवं स्व० श्री केदार गिरी के तीन पुत्र व तीन पुत्रियों में पांचवे नम्बर के विरेन्द्र गिरी हालांकि अब इस संसार में नहीं है उनका असमय जाना दुःखद रहा एक मेहनत कश कृषक व विनम्र कृषक के निधन पर तमाम लोगों ने अपनी शोक संवेदनाए व्यक्त की है

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उनके बड़े भाई मोहन गिरी गोस्वामी ने बताया कि छोटे भाई के निधन से सभी परिवारीजन स्नेहीजन बेहद व्यथित है लेकिन विधाता कि इच्छा को तो आखिर स्वीकारना ही पड़ता है गिरी समाज के रीति रिवाजों के अनुसार 1 मार्च को महाभण्ड़ारा का कार्यक्रम आयोजित है

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