शुभम अण्डोला: जरूरत मन्दों की निःस्वार्थ सेवा को समर्पित एक लोकप्रिय नाम
* संस्कारों से प्राप्त है समाज सेवा का पुनीत भाव
* असहाय व लाचार लोगों की मदद करने और कराने को रहते हैं सदैव तत्पर
हल्दूचौड़ ( नैनीताल ), देश-दुनियां में समाज सेवा के क्षेत्र में समर्पित ऐसे अनेकानेक लोग देखे व सुने जाते हैं जो अलग-अलग तरह से परेशान लोगों की मदद करने, समाज में जागृति लाने तथा समाज को दिशा देने के लिए जाने और पहचाने जाते हैं। परन्तु ऐसे समाजसेवी कम ही दिखते हैं जो बिना किसी लालसा, लाभ, नाम, पद, प्रतिष्ठा अथवा स्वार्थ के , अपना समय श्रम और धन समाज सेवा में लगाते हों। यानी समाज की सेवा में समर्पित होते हुए भी उनका कोई न कोई अपना लक्ष्य भी अवश्य देखने में आता है। लेकिन हल्दूचौड़ क्षेत्र के एक जनप्रिय समाजसेवी शुभम अण्डोला इन सभी में एक अपवाद हैं। अर्थात आज के इस विषम समय में भी समाजसेवी शुभम केवल और केवल निःस्वार्थ सेवा भाव से जरूरत मन्दों, लाचार, गरीब व असहायों की हर सम्भव मदद करने को तत्पर रहते हैं।
. अपनी निःस्वार्थ सेवा भाव एवं सेवा कार्यों के लिए हल्दूचौड़ क्षेत्र में ही नहीं अपितु समूचे कुमाऊ व गढ़वाल क्षेत्र मे भी खासे लोकप्रिय शुभम अण्डोला से उनके हल्दूचौड़ नया बाजार स्थित प्रतिष्ठान में एक शिष्टाचार भेंट के दौरान इस संवाददाता के साथ सेवा कार्यों से जुड़ी उनकी विभिन्न क्रिया-कलापों पर विस्तार से चर्चा हुई।
बातचीत के दौराना शुभम अण्डोला ने बताया कि वह समाज के लिए और सामाजिक सरोकारो के लिए जो कुछ भी कर पा रहे हैं, सब माता-पिता की प्रेरणा व आशीर्वाद से और भगवान की कृपा से ही सम्भव हो रहा है। उन्होंने कहा कि सेवा का भाव उनको पारिवारिक संस्कारों व परम्पराओ से प्राप्त हैं। बचपन से अपने माता-पिता व अन्य परिजनों का परोपकारी भाव को देखकर ही उनके मन में समाज के बीच जरूरतमंदों की मदद करने का भाव उत्पन्न हुआ और इस तरह जब भी मौका मिलता रहा वह तन-मन-धन से अपना मानवीय कर्तव्य समझकर आगे आकर यथा सामर्थ्य अपना योगदान देते रहे।
शुभम अण्डोला से जब उनकी पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के बाबत जानने का प्रयास किया गया तो कुछ क्षण भावुक होकर उन्होंने बताया कि तकरीबन पैंतीस वर्ष पूर्व उनके माता – पिता हल्दूचौड़ क्षेत्र में आकर बसे थे। तब वह मात्र 6-7 वर्ष के रहे होंगे। विपरीत परिस्थितियो में संघर्ष करते हुए माता-पिता ने लालन पालन से लेकर शिक्षा दीक्षा आदि सभी जिम्मेदारियो का ईमानदारी, अनुशासन व सनातन परम्पराओ की छत्र छाया में सन्तोष पूर्वक निभाया । गरीबी के बावजूद घर पर आने वाले किसी भी व्यक्ति की यथा सामर्थ्य सेवा तथा मदद करते हुए और लोगों से मदद करवाते हुए उन्होंने अक्सर अपने माता-पिता को देखा और आज भी वे जनसेवा तथा परोपकार के लिए लगातार प्रेरित व प्रोत्साहित करते रहते हैं।
श्री अण्डोला ने आगे कहा कि बचपन में और पढ़ाई के दौरान बेशक! उनके माता-पिता ने कभी भी किसी अभाव का अहसास नहीं होने दिया लेकिन युवावस्था में पता लगा कि माता-पिता ने किन हालातों में भी उनको खुश रखा । माता-पिता के उस त्याग ने मन को भीतर तक झकझोर दिया और फिर स्वयम् आर्थिक उपार्जन हेतु कोई न कोई कार्य करने का निश्चय किया। छोटा मोटा जहाँ भी जो भी काम मिला करता चला गया । उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने में उन्होंने संकोच नहीं किया । ईमानदारी से मेहनत करते हुए धीरे – धीरे घर-परिवार की स्थिति सामान्य होने लगी । जब पूछा गया कि उन्होंने किस काम से धनोपार्जन आरम्भ किया, तो श्री अण्डोला ने बताया कि शुरू में मेहनत मजदूरी की, साथ – साथ सिलाई का काम भी किया बाद में त्यौहार, मेले, पर्व आदि के अनुरूप कभी नव वर्ष पर ग्रीटिंग कार्ड्स बेचे तो कभी नवरात्रि में पूजन सामग्री, कभी राखी बेची तो कभी होली-दिपावली आदि त्यौहारो में रग, पिचकारी, पटाखे आदि बेचे । इस तरह धीरे धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य होती चली गयी। उस दरमियान भी समाज सेवा का जो भी अवसर मिलता था, उसे अवश्य करने कराने की कोशिश रहती थी।
समाजसेवी शुभम से वर्तमान में पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति के बाबत जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि आज वह हर प्रकार से सन्तुष्ट व खुश हैं। माता – पिता का आशीर्वाद सदैव उनके साथ है। उसी आशीर्वाद व भगवान की कृपा से आज उनको वह सब कुछ प्राप्त है जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकते थे । उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि सब कुछ का यह मतलब नहीं कि वह कोई अडानी या अम्बानी बन गये हों। बहरहाल भगवान ने जितना भी दिया है उससे वह पूर्णतः सन्तुष्ट हैं। यानी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियो के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियो का निर्वहन सन्तोष पूर्वक कर पा रहा हूं। शुभम ने कहा कि आज माता-पिता के नाम से उन्होंने दो फर्में बनाई हैं, जिनके जरिये प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लगभग डेढ़ सौ लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया है।
युवाओं के लिए कोई सन्देश देने की बात पर शुभम अण्डोला ने कहा कि परिस्थिति कैसी भी हो नीति व नीयत साफ होनी चाहिए, ईमानदारी , अनुशासन व एकाग्र भाव से अपने लक्ष्य पर लगातार चलते रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की कुसंगत व नशे से बचना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं को यह सब कठिन प्रतीत होता है वो आज से ही नित्य प्रातः काल अपने माता – पिता के चरण स्पर्श कर उनको अपने अच्छे कार्यों से खुश रखना शुरू कर दें। क्योंकि माता – पिता खुश हैं तो तय माने भगवान स्वयम खुश हो जाते हैं। भगवान आपसे खुश हैं तो परेशानी कहाँ आने वाली है। शुभम ने कहा कि उन्होंने जब से होश संभाला है तब से आज तक वह प्रातःकाल उठकर अपने माता – पिता का आशीर्वाद लेते आ रहे हैं। उसी आशीर्वाद की ताकत है कि वह पूर्णतः सन्तुष्ट व आनन्दित रहते हैं।
समाज सेवा के क्षेत्र में आगे की किसी योजना के बाबत पूछे जाने पर शुभम ने कहा कि फिलहाल तो वह जहां कहीं भी जिस किसी भी जरूरतमंद को राहत दिलानी होती है, वह फेसबुक पोस्ट के जरिये लोगो से सहयोग कराने की अपील कर देते हैं। लोगों का भरोसा ही कि एक – दो दिन के भीतर बड़ी संख्या में लोगों की मदद मिलने लगती है और फिर अपनी ओर से यथासंभव योगदान कर जरूरतमंद को आर्थिक मदद पहुंचा दी जाती है।
श्री अण्डोला ने कहा कि फिलहाल इसी तरह वह समाज सेवा करते रहेंगे लेकिन आने वाले कुछ ही वर्षों में जरूरतमंदो की मदद को लेकर समाजसेवियों के साथ समन्वय कर कुछ बड़े स्तर पर कार्य करने की इच्छा है।
कुल मिलाकर समाजसेवी शुभम अण्डोला बीते कई वर्षों से जरूरतमंद लोगों के लिए बहुत अच्छा व सराहनीय कार्य करते आ रहे हैं। मूलरूप से जनपद बागेश्वर के बुड़ घूना गांव के रहने वाले शुभम वर्तमान में अपनी माता जी हीरा देवी तथा पिता टीका राम अण्डोला की छत्र छाया में अपने परिवार के साथ हल्दूचौड़ में निवास करते हैं। सरल व मिलनसार स्वभाव एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शुभम अण्डोला समूचे क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यावसायी के साथ-साथ लोक प्रिय समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं।
मदन मधुकर



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