विशेष रिपोर्ट : “हल्दूचौड़ में हाथियों का खौफ़नाक कहर आधी रात तांडव, खेत उजड़े, घर टूटा और वन विभाग अब भी खामोश!”

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लालकुआँ।
हल्दूचौड़ क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक अब काबू से बाहर हो चुका है। बच्चीधर्मा, दुम्का बंगर और गोपीपुरम गांवों में रात का सन्नाटा अब दहशत में बदल चुका है। ग्रामीण हर रात इस डर में सोते हैं कि अगला निशाना उनका घर होगा या खेत।

बीती रात करीब 1 बजे दुम्का बंगर में एक नर हाथी ने ऐसी तबाही मचाई कि किसानों की महीनों की मेहनत पलभर में मिट्टी में मिल गई। हाथी ने गिरीश चन्द्र जोशी, गणेश जोशी, बंसती देवी, रमेश फुलारा सहित आधा दर्जन से अधिक किसानों की फसलों को चपट कर डाला।

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लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान गिरीश चन्द्र जोशी के घर को हुआ—
हाथी ने उनकी सुरक्षा दीवार तोड़ी, मुख्य गेट उखाड़ फेंका, और पूरे घर में भय का साया छोड़ गया।

गिरीश चन्द्र जोशी ने आँखों में दहशत लिए कहा—

> “रात 1 बजे हाथी आया… सब उजाड़कर चला गया। खेती खत्म, दीवार टूटी… रोज़ डर में जीते हैं। वन विभाग कब जागेगा?”

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कनिष्ठ उप प्रमुख कमल भंडारी ने मौके पर पहुंचकर हालात का आकलन किया। उन्होंने कहा—

 “वन विभाग से बात की है, किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए और हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की ठोस कार्रवाई जल्द होगी।”

लेकिन सवाल बड़ा है—
ग्रामीण कब तक जान जोखिम में डालकर जिएंगे?
फसलों के बाद अब घरों पर हमले… क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार है?
क्षेत्र में स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है। दहशत इतनी बढ़ चुकी है कि रात को लोग घरों में सोने से पहले घंटों पहरा देते हैं।

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ग्रामीणों की एक ही मांग है—
“हाथियों को रोको, वरना किसी दिन भारी जनहानि होगी!”

अब पूरी उम्मीद वन विभाग पर टिकी है कि कब तक इस डर और आतंक से राहत मिलेगी।

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