हल्दूचौड़ में हाथियों का आतंक बढ़ा, ग्रामीणों में दहशत — वरिष्ठ समाजसेवी हरेन्द्र असगोला ने सरकार से किए प्रभावी कदम उठाने की मांग

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हल्दूचौड़/
हल्दूचौड़ क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक लगातार विकराल रूप ले रहा है। ग्रामीणों के अनुसार शाम ढलते ही हाथियों के झुंड आबादी की ओर बढ़ आते हैं, जिससे खेत, घर और सड़क—सब असुरक्षित हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई दिनों से हाथियों की लगातार आमद ने बच्चों, बुजुर्गों और किसानों को भयभीत कर रखा है।

इसी मुद्दे पर वरिष्ठ समाजसेवी व निवर्तमान ग्राम प्रधान हरेन्द्र असगोला ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हल्दूचौड़, गंगापुर, कबड़वाल, बमेटा क्षेत्र में हाथियों द्वारा किए जा रहे नुकसान की रोकथाम के लिए सरकार और वन विभाग को तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

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सरकार को तत्परता से कदम उठाने होंगे : हरेन्द्र असगोला

असगोला ने कहा—
“ग्रामीण हर शाम भय में जी रहे हैं। हाथियों के झुंड फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, घरों के पास तक आ रहे हैं। सरकार को इस समस्या को सिर्फ कागजों में नहीं, जमीन पर समाधान करना चाहिए।
वन विभाग को तुरंत निगरानी बढ़ानी चाहिए, रात में पेट्रोलिंग हो, हाई–अलर्ट जारी हो और ऐसे तकनीकी उपाय किए जाएँ जिससे हाथियों का आबादी क्षेत्रों में प्रवेश रोका जा सके।”

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ग्रामीणों की मुख्य माँगें

• हाथियों की निगरानी के लिए रात में वन विभाग की नियमित पेट्रोलिंग
• हाई–अलर्ट जोन घोषित कर अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती
• हाथियों के प्रवेश मार्गों पर वैज्ञानिक तरीके से रोकथाम व्यवस्था
• किसानों को फसल नुकसान पर मुआवजा प्रक्रिया में तेजी
• खतरे वाले इलाकों में चेतावनी तंत्र और सायरन सिस्टम

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ग्रामीणों में गहरा आक्रोश

ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों की वजह से क्षेत्र में रोजमर्रा का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई बार शिकायतों के बावजूद ठोस समाधान न मिलने से जनता नाराज़ है।

बड़ा हादसा हो सकता है — चेतावनी

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह क्षेत्र हाथियों के पारंपरिक मार्गों में आता है, लेकिन लगातार मानव–वन्यजीव संघर्ष बढ़ने से स्थिति चिंताजनक है। यदि रोकथाम के तुरंत उपाय नहीं किए गए तो किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।

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