श्री राम के पूर्वज राजा ऋतुपर्ण की तपोभूमि हुई राममय, धरती के नीचे पाताल लोक में भी हुआ विशेष पूजन

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अयोध्या में प्रभु श्री रामचंद्र जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर जहां समुचित देश में हर्ष उल्लास उमंग व दीपावली का वातावरण है वही प्रभु श्री रामचंद्र जी के पूर्वज राजा ऋतुपर्ण जी की तपोभूमि पाताल भुवनेश्वर में दीपदानके साथ-साथ वृद्ध भुवनेश्वर व पाताल लोक में पाताल भुवनेश्वर का विशेष पूजन किया गया तथा बेहद उमंग उत्साह के बीच यहां भंडारे का भी आयोजन किया गया मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी व मुख्य व्यवस्थापक उम्मेद भंडारी ने सभी भक्त जनों व आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया
यहाँ यह बताते चलें श्री राम के पूर्वज ने खोजी पाताल भुवनेश्वर गुफा
पाताल भुवनेश्वर महिमा का जिक्र पुराणों में भूतल के सबसे पवित्र क्षेत्र के रूप में आता है।

भुवनेश्वर का पूजन कर अश्वमेघ यज्ञ से हजार गुना फल प्राप्त होता है। भारतवर्ष के खण्डों में जो अनेक शिवलिंग हैं वे सब पाताल भुवनेश्वर के समीप विद्यमान हैं। यहां के दर्शन ‘केदार’ से सहस्रगुणित और वैद्यनाथ से भी कोटिगुणित फल प्राप्त होता है।
‘सहस्रगुणितं पुण्य केदारन्मुनिसत्तमाः।’
वैद्यनाथ कोटिगुन कैलाससदृशं फलम्।।
(स्कंद पुराण मानसखण्ड अध्याय 103’
भूमण्डल के इस सर्वप्रधान क्षेत्र में बद्री व केदार दोनों के ही दर्शन होते हैं। भगवान शिव की लीला अवर्णनीय है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।
इस संसार में जब-जब भी भुवनेश्वर नाथ जी की कथा प्रसारित होगी तब-तब भुवनेश्वर भक्त राजा ऋतुपर्ण याद किए जाते रहेंगे। महर्षि भृगु के अनुसार पाताल भुवनेश्वर क्षेत्र सब क्षेत्रों में प्रमुख हैं।
पाताल भुवनेशस्य क्षेत्रमेतत् प्रतिष्ठितम्।
सर्वेभ्यः क्षेत्रमुख्येभ्यः क्षेत्रमेतद् विशिष्यते।।
(श्लोक 6 भुवनेश्वर महात्म्य मानस खण्ड)
इस क्षेत्र के दर्शन का सौभाग्य पुराणों के अनुसार, सर्वप्रथम राजा ऋतुपर्ण को प्राप्त हुआ। सूर्यवंशी राजाओं में ऋतुपर्ण 50वें राजा थे। ये श्री रामचन्द्र जी के पूर्वज, महान् धर्मात्मा राजा सुदास के दादा, सर्वकाम के पिता, सिन्धुदीप के पौत्र राजा अयुतायुस के पुत्र थे। इनका चरित्र सुनने व पढ़ने वाला व्यक्ति इस लोक में कीर्ति पाकर शिवलोक प्राप्त करते हैं। कलियुग में तो इसका श्रवण समस्त पापों से छुटकारा दिलाने वाला है। स्वयं महर्षि व्यास जी कहते हैं, ‘‘ऋतुपर्णस्य राजर्षेः कीर्तनं कलिनाशनम्।’’

यह गुफा जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट तहसील के अन्तर्गत पाताल भुवनेश्वर गाँव में है

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