माया देवी मंदिर, हरिद्वार, शक्ति का पावन स्थल
उत्तराखंड के पावन तीर्थ हरिद्वार के हृदय में स्थित माया देवी मंदिर शक्ति-उपासना का प्राचीन और अत्यंत जागृत केंद्र है। 51 शक्तिपीठों में अपना गौरवपूर्ण स्थान रखने वाला यह मंदिर हरिद्वार के तीन प्रमुख सिद्ध पीठों में से एक है।
आदि शक्ति के स्वरूप माया देवी को समर्पित यह पावन धाम श्रद्धालुओं को आशीर्वाद, आध्यात्मिक शांति और आंतरिक उत्थान प्रदान करता है। इसकी पौराणिक कथा, दिव्यता और वातावरण इसे उत्तराखंड की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर बनाते हैं।
मंदिर का स्थान
माया देवी मंदिर हरिद्वार शहर के केंद्र में, पवित्र हर की पौड़ी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मुख्य धार्मिक स्थलों के निकट होने के कारण यह मंदिर यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए सहज पहुँच में रहता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि
माया देवी मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना माना जाता है। 11वीं शताब्दी या उससे भी पूर्व निर्मित यह मंदिर उन चुनिंदा प्राचीन धामों में शामिल है जो समय की धूल झाड़ते हुए आज भी अपनी दिव्य ऊर्जा के साथ विद्यमान हैं।
यह मंदिर माता सती और भगवान शिव की प्रसिद्ध पौराणिक कथा से सम्बद्ध है
जब सती ने अपने पिता दक्ष के अपमान के कारण योगाग्नि धारण कर प्राण त्याग दिए, तब शोकमग्न शिव उनके शरीर को लेकर विश्वभर में विचरण करने लगे। सृष्टि के संचालन के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 अंग पृथ्वी पर गिराए। मान्यता है कि सती का हृदय और नाभि इसी पावन स्थल पर गिरे, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ माया देवी मंदिर की स्थापना हुई।
हरिद्वार का प्राचीन नाम मायापुरी, देवी माया के नाम पर ही पड़ा था, जिससे इस मंदिर की प्राचीनता और महत्ता सिद्ध होती है।
मंदिर का महत्व : शक्ति का जीवंत धाम
माया देवी मंदिर एक शक्तिपीठ है, जहाँ माता की अखंड शक्ति आज भी प्रकट रूप में अनुभव होती है।यह हरिद्वार के तीन सिद्ध पीठों—माया देवी, मनसा देवी और चंडी देवी—में से प्रमुख है।
तीनों सिद्धपीठों के दर्शन को मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है।
इस मंदिर का गर्भगृह अत्यंत अद्वितीय है, क्योंकि यहाँ तीन देवियों—माया देवी, कामाख्या देवी और काली देवी—की मूर्तियाँ एक साथ स्थापित हैं। यह त्रिदेवियों का संगम इस स्थल को अतुलनीय आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
हरिद्वार का प्राचीन नाम मायापुरी देवी माया के नाम पर पड़ा था। यह मध्यकालीन समय से विद्यमान सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहाँ सती के हृदय और नाभि गिरने का पौराणिक वर्णन है। गर्भगृह में तीन देवियों का एक साथ विराजमान होना दुर्लभ और अनोखा है। कुंभ मेले के दौरान यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति उपासना का मुख्य केंद्र बन जाता है।
कुल मिलाकर माया देवी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और शक्ति का अद्वितीय संगम है।
हरिद्वार आने वाले हर तीर्थयात्री के लिए यह मंदिर दर्शन, ध्यान और दिव्यता का अनिवार्य पड़ाव है। यहाँ आकर ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं आदि शक्ति अपनी दिव्य ममता से समस्त भक्तों को आलोकित कर रही हों।जब भी आप हरिद्वार जाएं तो माँ माया देवी के अवश्य दर्शन करें
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