पाताल भुवनेश्वर का रहस्य :काल भैरव की अद्भुत जीभ जिसके अंतिम छोर को पार कर ले, उसका पुनर्जन्म नहीं होता

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पाताल भुवनेश्वर का रहस्य :काल भैरव की अद्भुत जीभ जिसके अंतिम छोर को पार कर ले, उसका पुनर्जन्म नहीं होता

कुमाऊँ की पावन भूमि में स्थित पाताल भुवनेश्वर अपने रहस्यों, आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्य आकृतियों के कारण विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। गुफा के भीतर प्राकृतिक रूप से बनी अनेक शिलाएँ देव स्वरूपों का आभास कराती हैं, जिनमें से एक अत्यंत रहस्यमयी और चर्चित आकृति है : काल भैरव की जीभ।

 यह प्राकृतिक शिला आकृति सदियों से साधकों, तपस्वियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक स्थल मानी जाती है। इस प्राकृतिक संरचना के बारे में स्थानीय परम्पराओं, पुराणों और लोककथाओं में एक अत्यंत गूढ़ विश्वास प्रचलित है।

 क्या है काल भैरव की जीभ का रहस्य?

गुफा के भीतर स्थित यह लम्बी, वक्राकार शिला आकृति पारंपरिक मान्यता के अनुसार काल भैरव की जीभ मानी जाती है।
लोकविश्वास है कि जो भी साधक तप, संयम और सच्ची श्रद्धा के साथ इस जीभ के अंतिम छोर तक पहुँच जाता है,वह जन्म–मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता। यानी यह स्थान मोक्ष का प्रवेशद्वार माना गया है। यह मान्यता केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही आध्यात्मिक साधना परंपरा का प्रतीक है, क्योंकि पाताल भुवनेश्वर स्वयं शिव की अनंत लीलाओं का स्थल माना जाता है।

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गुफा की कठिन राह :आस्था की परीक्षा

पाताल भुवनेश्वर गुफा में उतरना ही एक कठिन साधना के समान है।
संकरी राहें, झुककर चलने लायक मार्ग, प्राकृतिक जलधाराएँ और रहस्यमय अंधकार इन सबके बीच यह शिला आकृति साधकों को अपनी दिव्यता का अनुभव कराती है। स्थानीय पुरोहित बताते हैं कि यह आकृति सदियों पुरानी है इसके प्राकृतिक स्वरूप में आज तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ गुफा में हजारों भक्त प्रतिवर्ष इसे दर्शन करने आते हैं लेकिन अंतिम छोर तक पहुँच पाना अत्यंत कठिन माना जाता है

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पुराणों और संतों का उल्लेख

पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है, जहाँ इसे देवताओं और सिद्धों का तपोस्थल बताया गया है।
कई संतों और साधकों ने अपनी यात्राओं में उल्लेख किया है कि—“जो यहाँ प्रवेश करता है, वह अपने भीतर छिपे अहंकार, भय और अज्ञान को पीछे छोड़ देता है।” इसी भाव से यह मान्यता और भी पवित्र मानी जाती है कि काल भैरव की जीभ के छोर तक पहुँचने वाला साधक जीवन–मरण के चक्र को पार कर लेता है।

स्थानीय आस्था : मोक्ष का द्वार

स्थानीय लोगों की गहरी मान्यता है कि गुफा का यह भाग स्वयं महाकाल भैरव की शक्ति का प्रतीक है। दर्शन करते समय भक्त मन में यह संकल्प लेते हैं कि अहंकार का त्याग करें सत्य और धर्म का पालन करें शिव–शक्ति के मार्ग पर चलें उन्हीं के लिए यह स्थान मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

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आस्था, रहस्य और प्रकृति : तीनों का अद्भुत संगम

पाताल भुवनेश्वर केवल एक गुफा नहीं, बल्कि यह स्थान प्रकृति की अद्भुत शिल्पकारीप्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं और शिव–भैरव की अनंत ऊर्जा सभी को एक साथ समेटे हुए है।

काल भैरव की यह रहस्यमयी शिला आकृति आज भी भक्तों को यह संदेश देती है कि—

सत्य, तप और श्रद्धा से बढ़कर कोई मार्ग नहीं।
और जो इसे पा लेता है, उसे मृत्यु भी स्पर्श नहीं कर पाती।

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