जनपद नैनीताल का यह श्रीराम मन्दिर है आस्था का केन्द्र, आठ दशक से हो रही यहाँ रामलीला

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जनपद नैनीताल के सुयालबाड़ी क्षेंत्र में स्थित बिचखाली का श्री राम मन्दिर वर्षो स्थानीय भक्तों की परम आस्था का केन्द्र है कुमाऊँ की सबसे प्राचीन आयोजित रामलीलाओं में यहाँ की रामलीला भी काफी प्रसिद्ध है प्रभु श्री रामचन्द्र जी के इस पावन धाम के दर्शनों के लिए आसपास के ग्रामीण जनों का अक्सर यहाँ आना – जाना लगा रहता है

पवित्र पहाड़ों की गोद में रामगढ़ ब्लाक के बिचखाली गाँव में स्थित इस मंदिर के प्रति बिचखाली सिमराड़ मयेली टिकुरी बाज पाथरी रौलखेत बड़ी बांज नैनी बांज सुयालगाड़ पोखरी तरैना घोबती बज्यूठिया गुलाब घाटी जाजर किलौर आदि क्षेत्रों के तमाम ग्रामीण यहाँ पहुंचकर अपनें आराधना के श्रद्धा पुष्प प्रभु श्री राम चन्द्र जी के चरणों में अर्पित करनें के लिए यहाँ आते रहते है रामलीलाओं के दिनों में तो यहाँ विशेष रौनक छायी रहती है

इस क्षेत्र के समाज सेवी नीरज सुयाल बताते है कि यहाँ की रामलीला काफी प्राचीन है लगभग 80 वर्षो से आसपास के इलाके में सबसे प्रसिद्ध रामलीला यही होती है रामलीला से पूर्व हर पात्र नियम शंयम के साथ रहकर प्रभु राम की भक्ति करता है और मंचन के समय भी व्रत आदि नियमों का पूरी तरह पालन किया जाता है हालांकि यह मंदिर बहुत बड़ा विशाल तो नही है लेकिन इस मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों में बिराट आस्था का भाव है लोगों का यह भी मानना है कि भयानक विपत्तियों में जो यहाँ प्रभु श्री राम का स्मरण करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते है

प्रति वर्ष रामनवमी के अवसर पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन वर्षो से होता आ रहा है दूर दराज बसे यहाँ के लोग अक्सर रामनवमी के मेले में भारी संख्या में पहुंचते है आध्यात्मिक रूप से यहाँ की पर्वत मालाएं काफी समृद्ध है लेकिन पहचान के अभाव में गुम है

यहाँ की पर्वतमालाएं सौदर्यं का आपार केन्द्र है यहाँ पहुंचकर मन की ब्याधियां यूं शान्त हो जाती है जैसे अग्नि की लौ पाते ही तिनका भस्म हो जाता है। अखण्ड रामायण श्रीमद् भागवत आदि महापुराण राम कथा भजन कीर्तन आदि तमाम धार्मिक कार्यक्रम समय- समय पर यहाँ आयोजित होते रहते इन कार्यक्रमों में श्रीराम भक्तों का उल्लास देखते ही बनता है

यहाँ पर राम नाम का किये जाने वाला जाप शीघ्र ही फलदायी माना गया है शास्त्रों में भी कहा गया है श्री राम नाम की महिमां अपरम्पार हैहर पल नाम सुमिरन व व प्रभु श्री राम की भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु श्री राम की भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति श्री राम कथा व उनके नाम के श्रवण से प्राप्त होती है।

ज्ञानी जन कहते है अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री राम का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में श्री राम की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।
भगवान शंकर की कृपा के बिना प्रभु श्री राम की कृपा प्राप्त नही हो सकती है ।

इस हेतु यहाँ आनें वाले भक्त गुप्तेश्वर महादेव का भी दर्शन करते है शिव के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है, शिव कृपा ही श्री राम भक्ति का सुगम पथ है। राम ही जीवन के आधार हैं जो प्राणी श्री राम की शरणागत है उसे स्वप्न में भी लेशमात्र दुख नहीं होता वह सतांपों से मुक्त है।जीवन में मर्यादा व कर्तव्य का स्थान सबसे ऊचाँ है। और इस ऊंचाई का ज्ञान हमें श्री राम की लीला से प्राप्त होता है। और यह लीला शिव कृपा का प्रताप है महादेव व राम अभेद है।

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