यादव परिवार ने माँ अवंतिका दरबार को समर्पित किया यह उपहार

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लालकुआँ नगर के प्रसिद्ध समाज सेवी माँ अवंतिका के चरणों में गहरी आस्था व श्रद्धा रखनें वाले भक्त रविन्द्र यादव व उनकी पत्नी दुर्गावती यादव ने श्रावण माँह के पावन पर्व पर माँ अवंतिका दरबार में 51 किलो की घण्टी अर्पित की
इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेवी कमलेश यादव रेखा यादव नेहा मेहता श्रीमती लीलावती लीला गुप्ता अभिषेक गुप्ता नारायण सिंह मेहता विशाल यादव राहुल यादव सत्यप्रकाश यादव दिनेश कश्यप सहित अनेकों श्रद्धालुजन मौजूद रहे

पूजा-अर्चना का कार्य आचार्य पण्डित चन्द्र शेखर जोशी ने सम्पन कराया मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पूरन सिंह रजवार व महामन्त्री भुवन पाण्डे ने यादव परिवार के माँ के प्रति समर्पण की भावना का सम्मान करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए उन्हें शुभ कामनाएं दी

उल्लेखनीय है,कि आदि शक्ति जगत-जननी माता जगदम्बा का विराट स्वरुप जहां भांति-भांति रुपों में पूजित है, वही कुमाऊं के प्रवेश द्वार लालकुआं नगर में अवन्तिका माता के रुप में यह देवी बड़े ही श्रद्वा के साथ पूजित है, मान्यता है, कि मर्यादित, संयमित नीतिसम्मत, सिद्वान्तपरक, मूल्यपरक कुल मिलाकर शान्तिपूर्वक जीवन यापन व्यतीत करने के इच्छुक भक्तों के लिए मांअवन्तिका की शरणागति ही हर तरह के संशय, संकट भय रोग,शोक दुख दरिद एवं विपदाओं से मुक्त करती है। शिव के साथ मां का पूजन वैभव को प्रदान करने वाला कहा गया है

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मानस भूमि के प्रवेश द्वार ललिता देवी की नगरी लालकुआं नगर के उतर दिशा में माता अवन्तिका का दरबार सदियों से पूज्यनीय है, इस स्थान पर माता अवन्तिका की पूजा कब से होती है यह सब अज्ञात है। कुछ देवी भक्तों का मानना है, कि पूर्वकाल में घनघोर जंगल होने के कारण वट वृक्ष के नीचे माता की एक छोटी सी मूर्ति थी जिसे भक्तजन ललिता देवी, वन देवी, कोकिला देवी, त्रिपुर सुन्दरी आदि तमाम रुपों में अपनी अपनी भावनाओं को इस देवी को पूजते थे, हिमालय की और जाने वाले ऋषि मुनी संतजन इस क्षेत्र में विश्राम के दौरान इस देवी को विभिन्न रुपों में पूजकर हिमालय भूमि की और प्रस्थान करते थे, इसलिए नगर का यह क्षेत्र हिमालयी संस्कृति की आधार भूमि मानी जाती है, इसलिए देवभूमि हिमालय के बारे में पुराणों में कथन है अस्त्युन्तरस्या दिषि देवतात्मा हिमालयों नाम नगाधिराजः’’ वास्तव में महाषक्ति ही परम ब्रहमा के रुप में हिमालय भूमि के कदम-कदम पर प्रतिष्ठित है, यहां पधारने वाले लोग सबसे अधिक श्रद्वा स्वभाविक रुप से माता श्री के चरणों में अर्पित करता है, हिमालय भूमि में प्रवेश से पूर्व यहां से गुजरने वाले आगन्तुकों को अवन्तिका माता के दर्षन के बाद ही हिमालय दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है, हिमालय भूमि में नौ दुर्गाओं दस महाविघाओं सहित अनके स्वरुपों में उनकी लीलाऐं दृष्टिगोचर होती है, परमात्मास्वरुपिणी अवन्तिका शक्ति मन्दिर परिसर में आज धीरे-धीरे अनेकों देवी देवताओं के छोटे-छोटे मन्दिर है, जिनका निमार्ण स्थानीय भक्तजनों ने बड़े ही श्रद्वा भाव के साथ किया है, चैत्र, आषाढ़, अष्विन, और माघ इन मासों के चारों नवरात्रों में यहां अवन्तिका देवी का विधि का पूर्वक पूजन किया जाता है श्रावण मॉह के इन दिनों में भी भक्तजन यहाँ पहुंचकर अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प माँ को अर्पित करते है
कुमाऊं के प्रवेश द्वार व जनपद नैनीताल की तलहटी पर स्थित अवन्तिका माता की महिमा का वर्णन अनन्त व अगोचर है

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