ममता व करुणा की यह मूर्ति सदैव स्मरणीय रहेंगी कर्म,निष्ठा,व संघर्ष का संगम थी श्रीमती बसंती जोशी

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मोटाहल्दू के किशनपुर सकुलिया गाँव निवासी आध्यामिक विचारधारा की धनी श्रीमती बसंती जोशी का शनिवार को निधन हो गया रविवार को सैकड़ों नम आखों ने चित्रशिला घाट रानीबाग में उन्हें अन्तिम विदाई दी वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गयी है
आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति ,लोक मंगलकारी कर्मो का सृजन करके निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली, कर्म ही जिनका महान् आर्दश था ,दया ही जिनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल जिनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि भांति जानती थी, देवभूमि व यहां के तीर्थ स्थलों के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर जिनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति श्रीमती बसंती जोशी जी अब इस नश्वर संसार में नही रही उनके निधन की सूचना से समूचा क्षेत्र शोक से व्याकुल हो उठा है, यहां के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी श्रीमती बसंती जोशी का आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी बसंती जोशी जी ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी,

देवभूमि के देवालयों की वे कायल थी ईश्वर से उनका अमिट लगाव था ।उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी। 90 वर्ष की अवस्था में भी अपने मूल कर्म खेती बाड़ी के प्रति उनकी सजगता कर्म के प्रति महान् आदर्श था

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कुल मिलाकर मोटाहल्दू किशनपुर सकुलिया निवासी महान् आध्यात्मिक पुरुष स्व० श्री जय दत्त जोशी जी की धर्म पत्नी स्व० श्रीमती बंसती जोशी का जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता उनकी जहां ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी, लोक मंगल के कार्यो के प्रति सदैव सजग रहा करती थी
जीवन में दो पुत्रों के असमय चले जाने का दुःख भी उन्हें ममत्व की पीड़ा से अक्सर व्याकुल किये रहता था फिर भी आत्मा की अमरता व ईश्वरीय इच्छा को सिरोधार्य मानकर वे सदैव अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रही
एम सी जोशी विपिन जोशी गिरीश जोशी पूरन जोशी दीप जोशी संजू जोशी सहित एक पुत्री आनन्दी जोशी की माताजी बसंती जोशी की माताजी ममता व करुणा की मूर्ति के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगी

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उनका जीवन अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। उनके निधन पर तमाम सामाजिक राजनितिक व आध्यामिक जगत की विभूतियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है